जान जोखिम में डालकर सफर करना मजबूरी

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) रेणुकापार के आदिवासी अंचल में आवागमन की अपेक्षित व्यवस्था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Oct 2020 09:58 PM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 12:29 AM (IST)
जान जोखिम में डालकर सफर करना मजबूरी
जान जोखिम में डालकर सफर करना मजबूरी

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : रेणुकापार के आदिवासी अंचल में आवागमन की अपेक्षित व्यवस्था नहीं होने के कारण रोजाना आदिवासी जान जोखिम में डालकर अपना सफर तय कर रहे हैं। दशकों से सरकारी उपेक्षा झेल रहे आदिवासी जानवरों की तरह मालवाहक वाहनों में भरे जा रहे हैं। ऐसे में अब प्रमुख मार्गों पर सरकारी परिवहन सेवा की आवश्यकता महसूस की जा रही है। फिलहाल दो लाख से ज्यादा आबादी के लिए अभी तक कोई भी परिवहन सेवा नहीं है। लगभग 70 किलोमीटर में फैले इस क्षेत्र के लगभग 150 टोलों में 50 से ज्यादा ऐसे टोलें हैं जहां अभी तक सड़क मार्ग नहीं है। रेणुकापार के लाखों लोगों को जिला मुख्यालय जाने की फिलहाल कोई व्यवस्था नहीं है। कुछ क्षेत्रों में कुछ गिने चुने टेम्पो चलते हैं लेकिन बहुत बड़े क्षेत्र के लिए कोई व्यवस्था नही है। ऐसे 50 से ज्यादा टोले हैं जहां के ग्रामीणों को 10 किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलने पर ही किसी वाहन के मिलने की संभावना होती है। ऐसे 70 से ज्यादा टोले हैं जहां से जिला मुख्यालय की दूरी 50 किलोमीटर से ज्यादा है। मध्यप्रदेश की सीमा से सटे टोलों की दूरी 70 किमी से भी ज्यादा है।ऐसे में यात्री वाहनों की नगण्यता से ग्रामीणों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। प्रमुख मार्गों पर बस सेवा की मांग

रेणुकापार कई प्रमुख मार्गों पर बस सेवा की दरकार है। इनमें नव निर्मित चोपन-भरहरी मार्ग सबसे प्रमुख है। इस मार्ग से जुगैल, भरहरी, गोठानी, घटीहटा आदि ग्राम पंचायतों के 60 से ज्यादा टोलों के साथ मध्यप्रदेश जाने वालों को सहूलियत हुयी है। इसके अलावा ओबरा-परसोई -बेलगढ़ी मार्ग, चोपन-कुडारी मार्ग, ओबरा-खैराही मार्ग रेणुकापार के बड़े हिस्सों को जोड़ते हैं। इन मार्गों पर सरकारी बस सेवा के शुरू होने से ग्रामीणों को काफी सुविधा होगी। सबसे ज्यादा लाभ ओबरा और चोपन आने वाले स्कूली बच्चों को होगा। इसके अलावा मरीजों के साथ ब्लाक कार्यालय एवं जिला मुख्यालय जाने वाले यात्रियों को लाभ होगा।वर्तमान में इनमें कई प्रमुख मार्गों की हालत खस्ता होने के कारण भी यात्री वाहन नहीं चल पा रहे हैं।

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रेणुकापार की कुछ सड़कों पर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम द्वारा सर्वे किया गया है। खासकर चोपन से भरहरी मार्ग पर बसें चलाने की मांग ज्यादा है। आने वाले दिनों में रेणुकापार के कई मार्गों पर परिवहन निगम की बसों को चलाया जा सकता है। ग्रामीणों द्वारा एमपी के चितरंगी तक भी बसें चलाने की मांग की गई है। -एके सिंह, एआरएम, परिवहन निगम।

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