नियमित पिलाएं नमक का घोल, स्वस्थ्य रहेंगे पशु

जागरूकता के अभाव में पशुओं को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Jan 2019 12:34 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jan 2019 12:34 PM (IST)
नियमित पिलाएं नमक का घोल, स्वस्थ्य रहेंगे पशु
नियमित पिलाएं नमक का घोल, स्वस्थ्य रहेंगे पशु

शाहजहांपुर : जागरूकता के अभाव में पशुओं को तमाम तरह की बीमारियां घेर लेती हैं। जिस वजह से उनका दूध कम हो जाता है या फिर उनकी मौत हो जाती है। यहीं नहीं सर्दी के मौसम में भी पशुओं को तमाम तरह की दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है। ऐसे में दैनिक जागरण के प्रश्न पहर कार्यक्रम में इस बार मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डॉ. आरबी ¨सह मौजूद रहे। उन्होंने पशुपालकों के सवालों के जवाब देकर पशुओं को स्वस्थ्य रखने के टिप्स दिए। डॉ. आरबी ¨सह ने बताया कि नियमित नमक का घोल बनाकर पशुओं को देते रहे तो तमाम बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसके अलावा उन्होंने पशुओं का दूध बढ़ाने के लिए पशु पालकों को संतुलित आहार देने की सलाह दी। ----

प्रश्न : सर्दी में भैंसों का दूध कम हो जाता है।

विजय लाल, निगोही

उत्तर : पेट में कीड़े होने की आशंका है। सौ एमएल कैल्शियम देने से दूध कम होने की दिक्कत दूर होगी। प्रश्न : आधा दर्जन बकरी कुछ दिनों से किसी बीमारी की चपेट में आ गई। एक बकरी की मौत भी हो गई थी।

राजाराम, चमुरिया निगोही

उत्तर : कोई भी पशु हो उसको तीन-तीन माह के अंतराल पर पेट में होने वाले कीड़े की दवा देनी चाहिए। जिससे पशुओं को बीमारी से बचाया जा सकता है। प्रश्न : हेल्प लाइन डेस्क न होने से पशु पालकों को बीमारियों से बचाव की जानकारी नहीं मिल पाती है।

शिवेंद्र प्रताप ¨सह, लधौला चेना

उत्तर : बेसहारा पशुओं के बीमार या चोटिल होने पर जिला स्तर से टीम भेजी जाती है। घरेलू जानवरों के लिए पशु पालक को स्वयं ही चिकित्सक से बात कर दवाएं लेनी पड़ती है। प्रश्न : पशुओं को किस तरह से ठंड से बचाया जा सकता है।

सौरभ कुमार, कलान

उत्तर : जिस स्थान पर पशु बांधे जाते है वहां सुबह व शाम को गोबर उठाते रहना चाहिए साथ ही कीड़े की दवाई भी समय-समय पर पिलाते रहना चाहिए ताकि उन्हें ठंड से बचाया जा सके। तिरपाल से भी पशुओं को सर्दी में ढकना चाहिए। प्रश्न : तीन सालों से भैंस गर्भ धारण नहीं कर रही है।

नेमचंद्र

उत्तर : बच्चेदानी में इंफेक्शन हो सकता है। चिकित्सक को भैंस दिखा ले उसके बाद ही उसका उपचार करायें। प्रश्न : पशुओं में किलनी बहुत हो रही है। क्या उपाय करना चाहिए।

धर्मेंद्र कुमार, गजनिया, गंगसरा

उत्तर : जिस स्थान पर पशु बांधते है वहां पहले स्प्रे कराये इसके बाद किलनी की दवा पशु को लगाये। दो घंटे बाद पूरे पशु गृह को पानी से साफ करा दे ताकि पशु को कोई नुकसान न हो। प्रश्न : दो दिन पहले भैंस को बुखार आ गया था। अब खाना भी बंद कर दिया है।

विनीत विर¨सगपुर, तिलहर

उत्तर : खुद उपचार करने के बजाय चिकित्सक को समस्या से अवगत कराएं। बिना सलाह के कोई भी दवा न दे। प्रश्न : दो गाय है। जिनको तीन बार गाभिन करा चुके है लेकिन गर्भ धारण नहीं कर रही है।

मुनेश्वर दयाल वर्मा, हसौआ प्रधान उत्तर : गाय में कैल्शियम की कमी हो सकती है। 25 से 50 ग्राम तक नमक का घोल पिलाते रहे ताकि कैल्सियम की कमी को दूर किया जा सके। जब गाय पूरी तरह से स्वस्थ हो उसके बाद ही उसको गाभिन कराये। या फिर चिकित्सक से सलाह लें। प्रश्न : भैंस एक बार बच्चे को दूध पिलाकर दूध देती है और दूसरी बार इंजेक्शन लगाना पड़ता है।

रामवीर, भावलखेड़ा

उत्तर : इंजेक्शन से छुटकारा पाने के लिए भैंस के पुट्टे पर तीन-चार बार हाथ मारकर इंजेक्शन लगाये। यह प्रक्रिया कुछ दिन करते रहे साथ ही इंजेक्शन में दवा की मात्रा धीरे-धीरे कम करते चले जायें।

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मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के टिप्स

-पशुओं को तीन-तीन माह के अंतराल पर कीड़े की दवा देनी चाहिए। जबकि बच्चे को 10-15 दिन के अंतराल पर दवा दी जा सकती है।

- खुरपका मुंहपका बीमारी का टीका वर्ष में दो बार लगवाना जरूरी है। पशु विभाग की ओर से निश्शुल्क लगाया जाता है।

- गलाघोटू बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए वर्षा ऋतु शुरू होने से पहले ही टीका लगवा लेना चाहिए। यह टीका भी निश्शुल्क लगता है।

- जब बच्चे का जन्म होता है तो उसे चार घंटे के अंदर ही उसकी मां का दूध पिला देना चाहिए जिससे बच्चे की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है।

-दुधारू पशु के गर्भित होने के बाद से आधा-आधा किलो संतुलित आहार देना चाहिए।

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