परिस्थितियों के अनुकूल हो विधि शिक्षा : प्रो. निर्मल

शाहजहांपुर : मुमुक्षु शिक्षा संकुल में चल रहे स्वर्ण जयंती समारोह कार्यक्रम के क्रम में विधि महाविद्

By Edited By: Publish:Mon, 02 Mar 2015 08:26 PM (IST) Updated:Mon, 02 Mar 2015 08:26 PM (IST)
परिस्थितियों के अनुकूल हो विधि शिक्षा : प्रो. निर्मल

शाहजहांपुर : मुमुक्षु शिक्षा संकुल में चल रहे स्वर्ण जयंती समारोह कार्यक्रम के क्रम में विधि महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इसमें प्रमुख रूप से मुख्य अतिथि व राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय रांची के कुलपति प्रो. बीसी निर्मल ने संगोष्ठी के विषय वर्तमान सामाजिक परिदृश्य में विधि शिक्षा की भूमिका पर विचार व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि विधि शिक्षा का उद्देश्य भारतीय संविधान के अनुरूप न्यायपरक होना चाहिए। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए केवल अधिवक्ता के रूप में व्यवसाय करने के लिए ही शिक्षा नहीं दी जानी चाहिए। बताया कि बढ़ते हुए औद्योगिकीकरण के कारण आने वाली समस्याओं एवं उनके समाधान के अनुरूप उद्देश्यपरक विधि शिक्षा दी जानी चाहिए एवं विधि शोध इस रूप में होना चाहिए। ताकि बदलती हुई सामाजिक एवं औद्योगिक परिस्थितियों में क्रियात्मक ज्ञान प्रदान कर सकें। कहा कि वैश्वीकरण ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विधि व्यवसाय को बदल दिया है। आज विधि शिक्षा का संबंध विधिक व्यवसाय से पूर्णत: जुड़ा हुआ है। अत: समय की मांग है कि विधि शिक्षा को इस रूप में दिया जाए जिससे हमारे विधि स्नातक विद्यार्थी बदलते हुए वैश्रि्वक बाजार में पूर्णरूप से अपनी विधिक सेवा प्रदान कर सकें।

बताया कि अंग्रेजी भाषा का महत्व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर है, इसलिए इस भाषा पर पकड़ बनाएं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुमुक्षु शिक्षा संकुल के अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने कहा विधि शिक्षा को विज्ञान की भांति पढ़ते हुए विधि विज्ञान के रूप में समझने की जरूरत है।

इसी क्रम में विशिष्ट अतिथि डॉ. डीके सिंह बरेली कॉलेज बरेली ने कहा हमारी विधिक एवं शिक्षा व्यवस्था अपने लक्ष्य से भटक चुकी है। शिक्षा का व्यवसायीकरण हो चुका है। प्रारंभिक शिक्षा से उच्च शिक्षा का काफी अवमूल्यन हो चुका है। हमें कर्तव्यपरायण बनना होगा।

विशिष्ट अतिथि डॉ. एसपी सिंह ने कहा हमें अपने कर्तव्यों का निर्वहन मजबूती के साथ करना चाहिए। एसएस लॉ कॉलेज सचिव अवनीश मिश्र ने कहा कि जो शिक्षा दी जा रही है वह भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं है। विधि शिक्षा का उद्देश्य चरित्र निर्माण, कर्तव्य परायण एवं देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत होना चाहिए।

सोमवार को आयोजित संगोष्ठी में तकनीकी सत्र का भी आयोजन किया गया। इसमें करीब 150 प्रतिभागियों ने अपने शोधपत्र पढ़े। वहीं छात्रों को उनकी उपलब्धियों आदित्य श्रीवास्तव, अंजली अग्रवाल, दिव्या सक्सेना, निवेदिता शर्मा आदि को प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम संचालन पवन गुप्ता तथा अतिथि परिचय डॉ. अनिरूद्ध राम ने किया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ. जयशंकर ओझा, अनिल कुमार, अशोक कुमार, प्रमोद कुशवाहा, नलनीश चंद्र सिंह, रंजना खंडेलवाल, अमित यादव, डॉ. रघुवीर सिंह आदि रहे। धन्यवाद ज्ञापन प्राचार्य डॉ. संजय बरनवाल ने किया।

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