कांग्रेस के बाद अब बसपा भी ‘जीरो’, यूपी विधान परिषद में एकमात्र सदस्य का कार्यकाल खत्म, जानें बाकी सदस्यों की संख्या
विधान परिषद अब कांग्रेस के बाद बसपा विहीन हो गया है। बसपा दूसरी ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है जिसका प्रतिनिधित्व उच्च सदन में खत्म हो गया है। उसके एकमात्र एमएलसी भीमराव अम्बेडकर का कार्यकाल पांच मई को खत्म हो चुका है। वे हरदोई लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा के विधान सभा में भी मात्र एक रसड़ा के विधायक उमाशंकर सिंह हैं।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। विधान परिषद अब कांग्रेस के बाद बसपा विहीन हो गया है। बसपा दूसरी ऐसी राष्ट्रीय पार्टी है, जिसका प्रतिनिधित्व उच्च सदन में खत्म हो गया है। उसके एकमात्र एमएलसी भीमराव अम्बेडकर का कार्यकाल पांच मई को खत्म हो चुका है। वे हरदोई लोकसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। बसपा के विधान सभा में भी मात्र एक रसड़ा के विधायक उमाशंकर सिंह हैं।
दरअसल, पांच मई को एमएलसी की कुल 13 सीटें रिक्त हुई हैं। इनमें भाजपा के 10, सपा, बसपा व अपना दल (सोनेलाल) की एक-एक सीट है। इन 13 सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन 14 मार्च को हो चुका है।
इनमें भाजपा के डॉ. महेन्द्र कुमार सिंह, विजय बहादुर पाठक, अशोक कटारिया, मोहित बेनीवाल, धर्मेन्द्र सिंह, राम तीर्थ सिंघल व संतोष सिंह के अलावा अपना दल (सोनेलाल) से आशीष पटेल, रालोद से योगेश चौधरी व सुभासपा से विच्छे लाल राम शामिल हैं। सपा के जो तीन एमएलसी बने हैं उनमें बलराम यादव, शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली व किरणपाल कश्यप शामिल हैं।
सपा को मिल जाएगा नेता प्रतिपक्ष का पद
विधान परिषद में सपा को अब फिर से नेता प्रतिपक्ष का पद मिल जाएगा। उसके तीन सदस्य जीते हैं, ऐसे में अब परिषद में उसके कुल 10 सदस्य हो गए हैं। 100 सीटों वाली विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की ही जरूरत होती है। सात जुलाई 2022 को सपा के लाल बिहारी यादव से नेता प्रतिपक्ष का पद इसलिए छीन लिया गया था क्योंकि सपा के 10 से कम सदस्य हो गए थे।
विधान परिषद में अब दलीय स्थिति
- भाजपा-79
- सपा-10
- अपना दल (सोनेलाल)-01
- निषाद पार्टी-01
- रालोद-01
- सुभासपा-01
- जनसत्ता दल लोकतांत्रिक-01
- शिक्षक दल (गैर राजनीतिक)-01
- निर्दलीय समूह-02
- निर्दलीय-02
- रिक्त-01 ।