टिकट पार्टी ने काटा या श्रीकला ने खुद ही वापस कर दिया? एक-दूसरे पर उठा रहे उंगली, इस सीट पर उलझी बसपा
धनंजय सिंह भले ही कह रहे हैं कि उनकी पत्नी श्रीकला सिंह का टिकट काट बसपा ने गलत किया है लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि रविवार शाम तक मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कह रही श्रीकला ने ही देर रात हमारे कोऑर्डिनेटर राम चंद्र गौतम को फोन कर चुनाव न लड़ने की बात कही है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ। धनंजय सिंह भले ही कह रहे हैं कि उनकी पत्नी श्रीकला सिंह का टिकट काट बसपा ने गलत किया है, लेकिन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल का कहना है कि रविवार शाम तक मजबूती से चुनाव लड़ने की बात कह रही श्रीकला ने ही देर रात हमारे कोऑर्डिनेटर राम चंद्र गौतम को फोन कर चुनाव न लड़ने की बात कही है।
पाल ने बताया कि धनंजय की पत्नी ने गौतम से कहा कि उनके ऊपर पारिवारिक दबाव है इसलिए वह अब चुनाव नहीं लड़ेंगी। प्रदेश अध्यक्ष का स्पष्ट तौर पर कहना है कि यदि श्रीकला का टिकट काटना होता तो नामांकन के अंतिम दिन का इंतजार न किया जाता।
अगर पूरे घटनाक्रम के पीछे किसी तरह का दबाव या साजिश नहीं है तो जिस तरह बसपा के प्रत्याशी ने अंतिम दिन नामांकन किया उसी तरह श्रीकला निर्दलीय ही मैदान में क्यों नहीं उतरी?
-विश्वनाथ पाल, प्रदेश अध्यक्ष, बसपा।
पांचवी सूची में था श्रीकला का नाम
श्रीकला को जौनपुर से टिकट देने की घोषणा बसपा के राष्ट्रीय महासचिव मेवालाल गौतम ने 16 अप्रैल को प्रत्याशियों की पांचवी सूची में की थी। सोमवार को जारी तेरहवीं सूची में जौनपुर से श्याम सिंह यादव को उम्मीदवार बनाए जाने की जानकारी दी गई।
गौर करने की बात यह है कि नामांकन के अंतिम दिन रात एक बजे टिकट मिलने के बाद नामांकन प्रक्रिया खत्म होने से पहले श्याम सिंह ने पर्चा भी दाखिल कर दिया है। बसपा से पहले ही श्रीकला के नामांकन के बाद श्याम सिंह के पर्चा दाखिल करने पर धनंजय कह रहे हैं कि उनकी पत्नी का टिकट काट बसपा ने अच्छा नहीं किया।
इस पर बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अगर उनका टिकट काटना ही होता तो नामांकन का अंतिम दिन आने से पहले ही बदल दिया जाता। रविवार देर शाम तक हमारे लोग जौनपुर में चुनाव कार्यालय खुलवाने में न लगे होते।
उन्होंने बताया कि रविवार रात 11.30 बजे पार्टी के कोऑर्डिनेटर गौतम के पास श्रीकला का फोन आता है कि वह चुनाव नहीं लड़ेंगी। इस पर बहन जी (बसपा प्रमुख मायावती) ने रात में ही पार्टी के मौजूदा सांसद श्याम सिंह यादव को टिकट देने का निर्णय किया।
श्याम सिंह की तैयारी ने बचाया
पूरे घटनाक्रम के पीछे धनंजय पर भाजपा का दबाव, डील के सवाल पर पाल कहते हैं कि यह तो धनंजय ही बता सकते हैं, लेकिन वह मानते हैं कि यदि श्याम सिंह की तैयारी न होती तो अंतिम क्षणों में नामांकन ही न हो पाता और बसपा जौनपुर के चुनावी मैदान से बाहर हो जाती।
पार्टी के नेता पूरे घटनाक्रम के पीछे साजिश की आशंका जताते हुए सवाल उठाते हैं कि आखिर कौन नहीं जानता कि सूरत लोकसभा सीट पर निर्विरोध निर्वाचन के लिए किसने क्या किया?
अब जौनपुर में आसान नहीं बसपा के लिए जीत की राह
धनंजय की पत्नी ने चुनाव लड़ने से इनकार किया हो या फिर उनका टिकट कटा, बसपा के लिए अब जौनपुर सीट पर जीत की राह आसान नहीं है। पिछले चुनाव में सपा से गठबंधन के चलते बसपा के श्याम सिंह यादव ने 80,936 मतों के अंतर से जीत दर्ज की थी।
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा 1.46 लाख मतों के अंतर से जीती थी। सीट के जातीय समीकरण और भाजपा व सपा के प्रत्याशियों को देखते हुए माना जा रहा है कि अब श्याम सिंह यादव के मैदान में उतरने पर भाजपा को फायदा और सपा को नुकसान हो सकता है।
दबी जुबान से बसपा नेताओं का ही कहना है कि जिस तरह से प्रत्याशियों की घोषणा के बाद टिकट बदल रहे हैं उससे कहीं न कहीं पार्टी को नुकसान ही हो रहा है। ऐसा लगता है कि बसपा जीतने के लिए लड़ ही नहीं रही है।