संतकबीरनगर कांडः हत्याकर फेंकी गई थी तीन दोस्तों की लाश

संतकबीरनगर के खलीलाबाद क्षेत्र में मंगलवार शाम को जिन तीन युवकों की लाश मिली थी उनकी हत्या की गई थी। पोस्टमार्टम में इसकी पुष्टि हो गई है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Wed, 15 Aug 2018 06:12 PM (IST) Updated:Wed, 15 Aug 2018 06:12 PM (IST)
संतकबीरनगर कांडः हत्याकर फेंकी गई थी तीन दोस्तों की लाश
संतकबीरनगर कांडः हत्याकर फेंकी गई थी तीन दोस्तों की लाश

गोरखपुर (जेएनएन)। संतकबीरनगर के खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र में मंगलवार की शाम को जिन तीन युवकों की लाश मिली थी, उनकी हत्या की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो गई है। सिर पर किसी भारी चीज से प्रहार कर उन्हें मौत के घाट उतारा गया था। हत्या से पहले पिटाई की वजह से उनके हाथ, पैर व पसली की हड्डियां टूट गई थी। मौत से पहले उनका गर्दन उमेठने का भी प्रयास किया गया था। तीनों के पूरे शरीर पर चोट के निशान भी मिले हैं। 

खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र में मुखलिसपुर रेलवे क्रासिंग के पास मगहर की तरफ रेल लाइन के किनारे झाडिय़ों में मंगलवार की शाम को तीन युवकों की लाश मिली थी। बाद में उनकी पहचान खलीलाबाद कोतवाली क्षेत्र के ही पठान टोला निवासी ओबैदुल्ला खान (22), शानू उर्फ अनवारुल हक (17) और बरकत अली (17) के रूप में हुई। तीनों गहरे दोस्त थे। शव मिलने की सूचना पर पहुंचे परिजनों ने बताया था कि सोमवार की शाम को वे एक साथ घर से निकलने थे। तभी से उनका पता नहीं चल रहा था। उनका मोबाइल फोन भी बंद मिल रहा था। मंगलवार की शाम को रेलवे लाइन की तरफ गए ग्रामीणों ने उनकी लाश देखकर पुलिस को इसकी सूचना दी। 

नमाज-ए-जनाजा पढऩे से किया इन्कार

पोस्टमार्टम के बाद परिजन तीनों शव लेकर सुपुर्द-ए-खाक करने पहुंचे। जनाजे के साथ बड़ी संख्या में पुलिस वाले भी मौजूद थे। कब्रिस्तान पहुंचने के बाद उन्होंने शव रख दिया और नमाज-ए-जनाजा पढऩे से इन्कार कर दिया। वे लोग एसपी को मौके पर बुलाने की मांग कर रहे थे। एसपी शैलेश कुमार पांडेय मौके पर पहुंचे। परिजनों की मांग पर उन्होंने इस मामले का बहुत जल्दी पर्दाफाश करने और वारदात को अंजाम देने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। इसके बाद ही नमाज-ए-जनाजा पढ़ा गय और तीनों शवों को सुपुर्द-ए-खाक किया गया।एसपी संतकबीरनगर शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गंभीर चोट से मौत तीनों युवकों की मौत होनी बताई गई है। घटना की छानबीन की जा रही है। उम्मीद है कि बहुत जल्दी पूरे मामले का पर्दाफाश कर लिया जाएगा।

तिहरा हत्याकांड एक रहस्य

तीन दोस्तों की एक साथ हुई हत्या ने पुलिस को सकते में डाल दिया है। शव मिलने के चौबीस घंटे बाद भी यह नहीं पता चल पाया है कि वारदात को किसने, कब और क्यों की? इतने कम उम्र के बच्चों से आखिर किसी क्या दुश्मनी हो सकती है? जिस तरह से तीनों को मौत से पहले पीटा गया है, उनकी हड्डियां तोड़ी गई हैं और गर्दन उमेठने का प्रयास किया गया है, उससे साफ जाहिर है कि हत्या करने वाले बेहद गुस्से में थे और उनको मार डालने से पहले अपना सारा गुस्सा उन पर निकाल लेना चाह रहे थे। सब कुछ अभी रहस्य के साए में है। इस रहस्य से पर्दा उठाने वाली कड़ी की तलाश में पुलिस तीनों दोस्तों और उनसे जुड़े लोगों की पृष्ठभूमि खंगाल रही है। तफ्तीश के दायरे में दो साल पहले खलीलाबाद में ही आयोजित एक बर्थडे पार्टी भी है। पुलिस को शक है कि तीनों की हत्या के तार उस बर्थडे पार्टी से जुड़े हो सकते हैं। जिन तीन दोस्तों की हत्या हुई थी उनके एक कामन दोस्त का दो साल पहले बर्थडे था। इस मौके पर उसने अपने साथ पढऩे वाले करीबी दोस्तों को अपने घर दावत पर बुलाया था। इसमें ओबैदुल्ला खान, शानू उर्फ अनवारुल हक और बरकत अली के अलावा उनके तीन और दोस्त शामिल हुए थे। दावत के दौरान एक लड़की से छेड़खानी की घटना को लेकर विवाद हो गया था। हालांकि उस समय मामला किसी तरह से रफा-दफा हो गया था लेकिन बर्थडे पार्टी की घटना के बारे में जानने वाले लोग तीनों दोस्तों की हत्या का उसी से जोड़ रहे हैं।

एक साल पहले मिली थी दोस्त की लाश

ओबैदुल्ला खान, शानू उर्फ अनवारुल हक और बरकत अली के अलावा उनकी टीम में तीन और दोस्त उनकी टीम में शामिल थे। छहों के बीच काफी गहरी दोस्ती थी। इन छह दोस्तों में से एक की करीब साल पहले एक दोस्त की मौत हो गई थी। उसकी लाश खलीलाबाद में बरदहिया बाजार के पास रेलवे लाइन के किनारे मिली थी। उस समय उसकी मौत को हादसा माना गया था। 

10 दिन पहले ही मुंबई से घर आया था शानू 

दोस्त का शव मिलने के कुछ दिन बाद ही बाकी बचे पांच दोस्तों ने रोजगार की तलाश में घर छोड़ दिया था। हालांकि बाद में शानू उर्फ अनवारुल हक मुंबई रुका। ओबैदुल्ला खान और बरकत अली घर वापस आ गए। बाकी बचे दो दोस्त मुंबई से किसी और शहर चले गए। बताते हैं कि ओबैदुल्लाह और बरकत अली अक्सर घर से दो-दो, तीन-तीन दिन घर से बाहर से रहते थे। 10 दिन पहले शानू मुबई से घर लौटा था। उसके घर आने के बाद से ओबैदुल्ला और बरकत उसके साथ ही रह रहे थे। शानू की योजना कुछ दिन घर रहकर मुंबई वापस जाने की थी। इसी बीच मंगलवार को दो दोस्तों के साथ उसकी भी हत्या कर दी गई।

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