श्रीराम कथा है जीवन का संविधान : दीक्षित

जागरण संवाददाता रामपुर कथा व्यास पं. अशोक दीक्षित ने कहा कि श्रीराम कथा जीवन का संविधान है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Apr 2019 11:17 PM (IST) Updated:Wed, 17 Apr 2019 11:17 PM (IST)
श्रीराम कथा है जीवन का संविधान : दीक्षित
श्रीराम कथा है जीवन का संविधान : दीक्षित

रामपुर : कथा व्यास पंडित अशोक दीक्षित ने कहा कि श्रीराम कथा जीवन का संविधान है। इसमें जीवन का सार छिपा है, जिसके श्रवण मात्र से ही मानव का जीवन धन्य हो जाता है। वह मिलक में मोहल्ला नसीराबाद में श्रीरामकथा सुना रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमें कथा श्रवण से हर स्थिति में एक समान रहने की सीख मिलती है। श्रीराम कथा पिता-पुत्र, माता-पिता, भाई-बहन, सेवक-स्वामी, राजा और प्रजा के सुंदर संबंधों का नीति नियोजन करती है। भगवान का नाम लेने से जीवन में जीत की जयकार होती है। आज पति-पत्नी के बीच संवाद कम, विवाद अधिक होता है। इसके विपरीत यदि पति-पत्नी के बीच संवाद अधिक हो तो श्रीराम कथा का प्रवाह होता है। जीवन में अच्छी पुस्तकों का संग्रह करके उन्हें पढ़ने और आत्मसात करने से जीवन हर तरह से समृद्ध होता है। उन्होंने कहा कि केवल ज्ञान से कथा नहीं होती। ज्ञान आवश्यक है, पर इसके साथ ही भक्ति का होना बहुत जरूरी है। जर्रे-जर्रे में परमात्मा हैं। जहां प्रेम होता है, वहां भगवान प्रकट हो जाते हैं। आज मंदिरों की भीड़-भाड़ में आगे जाने के लिए प्रतिस्पद्र्धा बहुत देखने को मिलती है। जीवन में प्रार्थना, पुरुषार्थ और प्रतीक्षा का बड़ा महत्व है। लोग प्रार्थना व पुरुषार्थ तो कर लेते हैं, लेकिन प्रतीक्षा नहीं कर पाते हैं। स्मरण रखें कि फल प्राप्ति के लिए प्रतीक्षा भी जरूरी है। राम अवतार रसिक, सुधीश पांडेय, डॉ. मुनीश चंद्र शुक्ला व प्रमोद सक्सेना आदि रहे।

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