पानी की एक-एक बूंद सहेजने की जरूरत

जागरण संवाददाता ग्रेटर नोएडा इंसान खुद के स्वार्थ में प्रकृति की संपूर्ण साख-सज्जा को नष्ट भ्रष्ट करने में लगा है। विकास की सबसे अधिक कीमत अगर किसी ने चुकाई है तो वह जीवनदायिनी प्रकृति ही है। इसके सीने पर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती बहुमंजिला इमारतों के साथ विकास की दौड़ में प्रकृति को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:30 PM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:30 PM (IST)
पानी की एक-एक बूंद सहेजने की जरूरत
पानी की एक-एक बूंद सहेजने की जरूरत

जागरण संवाददाता , ग्रेटर नोएडा : इंसान खुद के स्वार्थ में प्रकृति की संपूर्ण साख-सज्जा को नष्ट भ्रष्ट करने में लगा है। विकास की सबसे अधिक कीमत अगर किसी ने चुकाई है तो वह जीवनदायिनी प्रकृति ही है। इसके सीने पर कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती बहुमंजिला इमारतों के साथ विकास की दौड़ में प्रकृति को पूरी तरह से अनदेखा कर दिया गया। भूमाफिया धरती के गर्भ को नष्ट करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। शहर में भूजल का स्तर लगातार गिरता जा रहा है। भूजल के अंधाधुंध दोहन व रिचार्ज के पारंपरिक स्त्रोत समाप्त होने से जल संकट लगातार गहराता जा है।

गौतमबुद्धनगर जिले की बात करें, तो पिछले चार साल में जिले में भूजल स्तर पर जबरदस्त गिरावट आई है। आधे से ज्यादा तालाबों पर भूमाफिया का कब्जा है। जो शेष बचे हैं, वह धीरे-धीरे मरणासन्न होते जा रहे हैं। वहीं समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के साथ ही सामाजिक जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं। उन्हीं में से एक है अल्फा दो सेक्टर निवासी समाजसेवी रेनू त्यागी। उन्होंने जीवन में कभी भी पानी बर्बाद न करने का संकल्प लिया है। साथ ही वह लोगों को जल संरक्षित करने के लिए जागरूक भी कर रही हैं।

रेनू बताती हैं कि तालाबों को फिर से जिदा करना होगा। बारिश के पानी को सहजने की जरूरत है, ताकि भूजल का स्तर भी बढ़ सके। वह तालाबों को पुनर्जीवित करने की दिशा में काम करने के साथ ही पानी की बर्बादी रोकने की दिशा में भी लोगों को जागरूक कर रही है। वर्षा का जल संचयन हो या फिर पानी की बर्बादी रोकने के उपाय। या फिर जागरूकता फैलाना। वे हर जगह सक्रियता से अपना योगदान देती हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी को भविष्य में पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े।

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