ऐसी क्या हुई बात कि तैराकी के लिए मांगनी पड़ी इच्छा मृत्यु, जानिए क्या है मामला

अमरोहा के सरकड़ी अजीज गांव के एक किसान ने तैराकी को प्राइमरी शिक्षा में शामिल कराने का बीड़ा उठाया है। इनका नाम दिगराज सिंह है।

By RashidEdited By: Publish:Mon, 21 Jan 2019 01:46 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jan 2019 08:05 AM (IST)
ऐसी क्या हुई बात कि तैराकी के लिए मांगनी पड़ी इच्छा मृत्यु, जानिए क्या है मामला
ऐसी क्या हुई बात कि तैराकी के लिए मांगनी पड़ी इच्छा मृत्यु, जानिए क्या है मामला

अमरोहा(आसिफ अली)। तैराकी एक खेल होने के साथ-साथ स्वस्थ रहने का जरिया भी है। तैराकी को खेल के रूप में देखा जाए तो यह विदेश तक देश का नाम रोशन कर सकती है, लेकिन अपने यहां इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती है। कोच और खिलाडिय़ों से लेकर तरणताल तक की कमी है। स्कूलों में अन्य खेल तो होते हैं लेकिन तैराकी को शामिल नहीं किया गया है। अमरोहा के सरकड़ी अजीज गांव के एक किसान ने तैराकी को प्राइमरी शिक्षा में शामिल कराने का बीड़ा उठाया है। इनका नाम दिगराज सिंह है। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2000 से केंद्र और प्रदेश सरकार को कई बार पत्र भी भेजे। साथ ही बाढ़ से मरने वाले लोगों का हवाला दिया। उनका तर्क है कि यदि बच्चों को स्कूल में तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाए तो बाढ़ जैसी आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या को कम किया जा सकता है। लेकिन 18 साल से उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। मांग पूरी न होने पर वह दो बार राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग भी कर चुके हैं। कहते हैं कि देशहित के लिए की गई मांग को अनसुना करने से वह आहत हैं।

यह है पूरा मामला

डिडौली कोतवाली क्षेत्र के गांव सरकड़ी अजीज निवासी किसान दिगराज सिंह के पिता तेज सिंह इंटर कालेज में खेल शिक्षक थे। वह तैराकी में महारथ रखते थे। पिता से ही दिगराज ने तैराकी सीखी और इसे देश की प्राइमरी शिक्षा में बतौर खेल प्रशिक्षण शामिल कराने का बीड़ा उठाया। उनका कहना है कि देश के विभिन्न राज्यों में हर साल बाढ़ कहर बनकर आती है। सैकड़ों लोग पानी में डूब कर मर जाते हैं। तर्क दिया कि अकेले वर्ष 2017 में ही देश में चार हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है। वर्ष 2018 में यह संख्या बढ़कर सात हजार हो गई थी। दिगराज का कहना है कि यदि बच्चों को स्कूल में तैराकी का प्रशिक्षण दिया जाए तो बाढ़ जैसी आपदा में मरने वाले लोगों की संख्या में कमी आएगी। छात्र जब तैराकी में निपुण होंगे तो आपदा से न सिर्फ खुद को बचाएंगे बल्कि दूसरों की जान भी बचा सकते हैं।

18 साल से नहीं हो रही सुनवाई

दिगराज बताते हैं कि लगातार 18 साल से उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। वह प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार को 36 पत्र भेज चुके हैं। कई केंद्रीय व प्रदेश सरकार के मंत्रियों के सामने अपनी मांग को रख चुके हैं, लेकिन किसी ने इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया। इससे क्षुब्ध होकर उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेज कर इच्छा मृत्यु की मांग की है।

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