टिड्डी दल को लेकर किसानों को किया अलर्ट, राजस्थान के जरिए प्रदेश में कर सकता है प्रवेश Moradabad News

अफसरों ने किसानों को बताए बचाव के तौर-तरीके। किसानों को बचाव के तरीके बताए गए। माना जा रहा है कि अगर खेत में पानी लगा होगा तो टिड्डी दल वहां नहीं ठहरेगा।

By Ravi SinghEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 02:32 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 02:32 PM (IST)
टिड्डी दल को लेकर किसानों को किया अलर्ट, राजस्थान के जरिए प्रदेश में कर सकता है प्रवेश Moradabad News
टिड्डी दल को लेकर किसानों को किया अलर्ट, राजस्थान के जरिए प्रदेश में कर सकता है प्रवेश Moradabad News

अमरोहा,जेएनएन। राजस्थान के जरिए यूपी में टिड्डी दल घुसकर फसलों पर हमला कर सकता है। इसे देखते हुए कृषि विभाग के अफसरों ने किसानों को अलर्ट किया है। साथ ही कहा है कि कहीं टिड्डी दल नजर आता है तो तत्कल विभाग को सूचित करें ताकि, उससे फसलों को बचाव किया जा सके।

यह जानकारी देते हुए जिला कृषि अधिकारी राजीव कुमार ङ्क्षसह ने बताया कि टिड्डी दल ने राजस्थान में जमकर तबाही मचाई है। आगरा से करीब 100 किलोमीटर दूर तब उसकी उपस्थिति का पता चला है। इसलिए सभी किसान उसके हमले को रोकने के लिए सतर्क हो जाएं। उन्होंने बताया टिड्डी दल में करोड़ों की संख्या में दो-ढाई इंच लंबे कीट होते हैं जो फसलों को कुछ ही घंटों में चट कर जाते हैं।

बताया दल का आकार करीब तीन से पांच किलोमीटर का होता है। जहां वह बैठता है तो तीन किलोमीटर लंबाई व पांच किलो मीटर चौड़ाई में फैल जाता है। यह सभी प्रकार के हरे पत्तों पर आक्रमण करता है। कृषि निदेशालय ने भी इसको लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

टिड्डी को रोकने के लिए किसान ये करें उपाय

- अपने खेतों में आग जलाकर, पटाखे फोड़कर, थाली व ढोल नगाड़े बजाकर आवाज करें।

- कीटनाशक रसायनों जैसे क्लोरपीरिफॉस, साइपरमैथरीन, ङ्क्षलडा आदि का छिड़काव टिड्डी दल पर करें।

- यह टिड्डी दल शाम को छह से सात बजे के आसपास जमीन पर बैठ जाता है और फिर सुबह 8 से नौ बजे के करीब उड़ान भरता है। इसी अवधि में कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव कर उसको मारा जा सकता है।

खेत में पानी लगा होगा तो नहीं ठहरेगा टिड्डी दल

आगरा तक टिड्डियों के दल के आने पर कृषि विभाग से अलर्ट से किसानों को चिंता सताने लगी है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक टिड्डी दल जहां रात को विश्राम करता है, वहां क्लोरोपाइरीफास 50 ईसी 425 एमएल प्रति 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने पर टिड्डी दल खत्म होगा और फसल बचेगी। टिड्डी दल रात होने पर जहां तक पहुंचेंगे वहीं विश्राम करेंगे। यह हमेशा बलुई मिटटी में ही अंडे देते हैं। ऐसे में किसानों को खेत में पानी भर जुताई कर देने से इस हमले से भी बचा जा सकता है। टिड्डी दल शाम छह से आठ बजे के आसपास जमीन अथवा पेड़ या पौधों पर बैठ जाते हैं। फिर सुबह आठ से नौ बजे के करीब उड़ान भरते हैं।

ताली बजाए, थाली बजाएं

किसान खेतों में एक साथ मिलकर आग जलाकर, पटाखे फोड़े या थाली बजाकर, ताली बजाकर, ढोल नगाड़े बजाकर तेज आवाज करें। धुआं करना भी लाभकारी होता है। 

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