Special Column: अंदर से तकरार, बाहर से प्यार, लव जिहाद को पचा जाती पुलिस Meerut News

दुश्मनी लाख सही खत्म न करिए रिश्ता। दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए। निदा फाजली की यह गजल जनपद के दो अफसरों का अंदाज-ए-बयां करने के लिए काफी है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 01:30 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 01:30 PM (IST)
Special Column: अंदर से तकरार, बाहर से प्यार, लव जिहाद को पचा जाती पुलिस Meerut News
Special Column: अंदर से तकरार, बाहर से प्यार, लव जिहाद को पचा जाती पुलिस Meerut News

मेरठ, [सुशील कुमार]। दुश्मनी लाख सही, खत्म न करिए रिश्ता। दिल मिले या न मिले, हाथ मिलाते रहिए। निदा फाजली की यह गजल जनपद के दो अफसरों का अंदाज-ए-बयां करने के लिए काफी है। ये वह शीर्ष अफसर हैं, जिन्हें शासन ने आपसी समन्वय बनाकर जनपद की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन उनके दिलों में इतनी दूरियां हैं, कि समय-समय पर एक दूसरे पर तीर छोडऩे से बाज नहीं आते। वाकया बीते शुक्रवार का है। दोनों अफसर बेगमपुल पुलिस चौकी में बैठे थे, तभी रूपक हत्याकांड पर चर्चा होने लगी। एक अफसर ने दूसरे के सामने 300 मीटर सड़क बनाने का प्रस्ताव रखा। शीर्ष अफसर प्रस्ताव सुनने के बजाय दूसरे मामले में लगे रहे। अफसर की बात पर यकीन नहीं किया, बल्कि अपने अधीनस्थ से कॉल कर पूछा। उसके बाद धीमी आवाज में बोले, नगर निगम से कहकर सड़क बनवा देंगे। ...तो यह हाल है जनाब।

लव जिहाद को पचा जाती पुलिस

लव जिहाद की घटनाएं पनपने की एक वजह पुलिस की कार्यप्रणाली भी है। हाल में लव जिहाद की दो घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली को बयां करने के लिए काफी है। परतापुर में शमशाद ने अमित गुर्जर नाम से प्रिया को प्रेमजाल में फंसाकर घर के अंदर ही गाड़ दिया। उसको बचाने के लिए इंस्पेक्टर और दारोगा ने सौदाबाजी कर ली। हालांकि उन पर कार्रवाई का हंटर भी चला है। दूसरी घटना भावनपुर की है। यहां भी लव जिहाद के आरोपित को तीन दिनों तक समझौता कराने के लिए थाने में बैठाकर रखा गया। पुलिस इस मामले में छह माह पहले भी समझौता करा चुकी थी। ङ्क्षहदू संगठनों का दबाव बढ़ा तब जाकर आरोपित को अपहरण के प्रयास में जेल भेजा गया। यदि अफसर नहीं चेते तो लव जिहाद की घटनाएं जनपद में सांप्रदायिकता का जहर घोल सकती हैं। अफसरों को जागना ही होगा।

अक्षम्य अपराध पर दी लचर दलील

भगवान श्रीराम ने माता जानकी का हरण करने के अपराध में रावण का कुल समेत ही सर्वनाश कर दिया था। यहां तो शास्त्रीनगर के अयान उल ने नाबालिग लड़कियों को न केवल अपने प्रेमजाल में फंसाया, वरन उनका शोषण भी किया है। यह जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। हालांकि, हमारी पुलिस को आइपीसी में इस अपराध से संबंधित कोई धारा ढूंढने से भी नहीं मिल रही है। यही कारण है कि डग आउट कैफे एंड रेस्टोरेंट में हुक्का बार चलाकर युवा पीढ़ी को बिगाडऩे वाले सुमित चौधरी एवं अविनाश पर मामूली धाराओं में कार्रवाई की गई। उससे भी अहम बात यह है कि अयान को पुलिस ने नाबालिग करार देकर किशोर गृह भेज दिया। अफसरों का तर्क एक ही है कि हुक्का बार संचालन में किसी सजा का प्रावधान नहीं है, पर अयान को बालिग दिखाकर पॉक्सो एक्ट तो लगाया जा सकता था।

चेकिंग का उड़ाया जाता है मखौल

रेस्टोरेंट में खाना खाया और रजिस्टर देखा, बस हो गई चेङ्क्षकग। डग आउट कैफे एंड रेस्टोरेंट में हुक्का बार के संचालन का पर्दाफाश होने पर खाद्य एवं सुरक्षा विभाग की चेकिंग पर सवाल उठना लाजिमी है। लव जिहाद का अड्डा बने गढ़ रोड स्थित कैफे में खाद्य एवं सुरक्षा विभाग द्वारा हर माह चेकिंग हुई, मगर अफसरों को कभी हुक्का बार चलता नहीं मिला। चेकिंग अफसर अर्चना का कहना है कि अगर हुक्का बार चलता मिल भी जाता, तब भी कोई कार्रवाई करने का अधिकार उनके पास नहीं हैं। सिर्फ खाना अच्छा नहीं परोसा जा रहा हो, तो उसका नमूना भरकर कार्रवाई की जा सकती है। अर्थात, विभाग के अफसर अपनी गर्दन बचाने के लिए अटपटे तर्क दे रहे हैं। सवाल है कि यदि हुक्का बार का संचालन हो रहा था, तो क्या आबकारी या पुलिस को इसकी सूचना नहीं दी जा सकती थी!

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