सेना में जासूस : कंचन को जासूस बनाने वाले कॉलर की तलाश

कंचन सिंह को जासूस बनाने वाले कॉलर की तलाश शुरू हो गई है। पाकिस्तान इंटे‍लिजेंस ऑपरेटिव्स ने सैकड़ों लोग केवल मोबाइल नंबर डायल करने पर लगाए हुए हैं।

By Ashu SinghEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 02:39 PM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 02:39 PM (IST)
सेना में जासूस : कंचन को जासूस बनाने वाले कॉलर की तलाश
सेना में जासूस : कंचन को जासूस बनाने वाले कॉलर की तलाश
मेरठ (जेएनएन)। पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव (पीआइओ) के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़े गए सैनिक कंचन सिंह के पास शुरुआत में रैंडम कॉल को ट्रेस करने की कोशिश की जा रही है। खुफिया एजेंसी के एजेंट्स ने कॉल कर प्राथमिक जानकारी लेने के बाद धीरे-धीरे रुपये का लालच देकर संपर्क बढ़ाया था। उसके बाद उसके पास किसी स्थानीय मददगार के जरिए संपर्क कर बात को आगे बढ़ाया गया। रुपयों के लालच में कंचन उनकी ओर खिंचता चला गया और उनके द्वारा पूछी गई जानकारियां साझा कर दी। अब सेना की ओर से उस पीआइओ एजेंट और उसके मददगार की भी तलाश की जा रही है जिससे उनके नेटवर्क को तोड़ा जा सके।

नंबर के लिए देते हैं मोटी रकम
सेना के वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि पाकिस्तानी एजेंसी के काम का तरीका अब भी द्वितीय विश्व युद्ध के समय का ही है। वे पुराने तरीके से ही भारतीय सैनिकों व सिविलियन का इस्तेमाल खुफिया जानकारी निकालने के लिए कर रहे हैं। यही कारण है कि अब भी एजेंसी से जुड़े लोग सरहद और पीस एरिया में तैनात विभिन्न यूनिटों को मिले मोबाइल नंबरों की सिरीज हासिल करने में जोर लगाते हैं। इसके लिए वे टेलीकॉम कंपनियों के कर्मचारियों के साथ ही किसी सैनिक से नंबरों की सिरीज हासिल करने के लिए मोटी रकम देने को तैयार रहते हैं।
चलता है नंबर डायल करने का लंबा दौर
पाकिस्तान इंटेलिजेंस ऑपरेटिव जैसे खुफिया एजेंसी में सैकड़ों लोग केवल मोबाइल नंबर डायल करने के लिए लगाए गए हैं। उन्हें यूनिट के नाम से मोबाइल नंबरों का डाटा उपलब्ध कराने के साथ ही यूनिट के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी मुहैया कराई जाती है। इसके बाद टास्क के अनुसार एक-एक व्यक्ति मोबाइल नंबरों पर नाम बदल-बदलकर फोन करता है। ये नाम यूनिट से जुड़े किसी अफसर या फिर कोई भी मिलते-जुलते भारतीय नाम होते हैं। पहले छोटी-छोटी जानकारी पूछी जाती है। कॉल रिकॉर्ड करते हुए सैनिक का नाम भी पूछ लिया जाता है। इसके बाद की जानकारी हासिल करने के लिए उन्हें ब्लैकमेल करने की कोशिश होती है।
सेना की जांच के बाद होगी संयुक्त पूछताछ
जासूसी मामले में सेना की छानबीन पूरी होने के बाद ही संयुक्त पूछताछ हो सकेगी। देश के अन्य एजेंसियां भी कंचन सिंह से पूछताछ करना चाहती हैं लेकिन उन्हें यह मौका पश्चिमी कमान की जांच व कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद ही मिलेगा। संयुक्त पूछताछ में सेना की जांच एजेंसियों के साथ ही आइबी सहित तमाम अन्य केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी मौजूद रहेंगे। हर एजेंसी मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार कर विभागीय अफसरों तक भेजेगी। सभी रिपोर्ट अलग-अलग भी केंद्र सरकार तक भेजी जाएंगी।
करते हैं भारतीय नंबरों का इस्तेमाल
प्राथमिक तौर पर कॉल करने के लिए भारतीय नंबरों का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे सामने वाले सैनिक को संदेह न हो। भारतीय नंबर भी उन्हें देश के भीतर सक्रिय एजेंट्स या सहयोगियों से मिल जाते हैं। छोटी या बड़ी सूचना हाथ लगने के बाद एजेंसी का एजेंट सीधे अपने नाम से फोन कर सैनिक को दबाव में लेता है। फटकार लगने पर दोबारा उस नंबर पर फोन नहीं आता है। जो दबाव में आ गया उसके पास फोन आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।
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