शिक्षण और देशसेवा के क्षेत्र में आगे रहा नैडू गांव

मवाना तहसील क्षेत्र के फलावदा अंतर्गत गांव नैडू शिक्षण कार्य एवं देश सेवा में पिछले सौ सालों से अग्रणीय है। 1936 से शिक्षा जगत से जुड़ने के बाद जनपद में अलग मुकाम पर है। अबतक 77 शिक्षण के साथ सवा सौ लोग पुलिस व आर्मी में सेवारत हैं। वर्ष-2014 में बागपत में बदमाशों से लोहा लेते हुए यहां के निवासी सिपाही सुभाषचंद अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:00 AM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 09:00 AM (IST)
शिक्षण और देशसेवा के क्षेत्र में आगे रहा नैडू गांव
शिक्षण और देशसेवा के क्षेत्र में आगे रहा नैडू गांव

मेरठ, जेएनएन। मवाना तहसील क्षेत्र के फलावदा अंतर्गत गांव नैडू शिक्षण कार्य एवं देश सेवा में पिछले सौ सालों से अग्रणीय है। 1936 से शिक्षा जगत से जुड़ने के बाद जनपद में अलग मुकाम पर है। अबतक 77 शिक्षण के साथ सवा सौ लोग पुलिस व आर्मी में सेवारत हैं। वर्ष-2014 में बागपत में बदमाशों से लोहा लेते हुए यहां के निवासी सिपाही सुभाषचंद अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं। यहां के बाशिंदों ने देश सेवा के साथ कई लोग उच्च पदों पर आसीन होने के कारण अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं। उधर, गांव में आíथक संपन्नता भी दिखाई देती है। मगर समय-समय पर जनप्रतिनिधियों द्वारा किए गए वादों से किसानों की दशा व दिशा में सुधार को लेकर बुजुर्ग सवाल भी उठाते हैं। हालांकि युवाओं द्वारा खेतों में हाड़तोड़ मेहनत कर फसल उगाने का भी उत्साह है।

गूर्जर बहुल गांव में विकास की दिखाई देती है झलक

तहसील मुख्यालय से 16 किलोमीटर दूर नैडू गांव की लगभग 5200 की आबादी है जिसमें लगभग 60 प्रतिशत गुर्जर के अलावा हिन्दू जुलाहा, ब्राह्मण, प्रजापति, ठाकुर आदि जातियां निवास करती हैं। बुजुर्ग मास्टर रामसिंह बताते हैं कि बागपत के पाबला गांव से केशव सिंह आए थे और उन्हीं ने 400 वर्ष पूर्व यह गांव बसाया व संवारा था। उनके बाद नंबरदार मंगत सिंह ने उक्त गांव की ख्याति आसपास बढ़ाई। जबकि नैडू नाम की भी मान्यता है जो बहसूमा रियासत के राज नैन सिंह से जुड़ा हुआ है। यहां के पहलवानों का भी दबदबा रहा है। पहलवान कुड़वा, दल सिंह, विजयपाल आदि की जोड़ी दूर-दूर तक जानी जाती थी।

शिक्षा जगत में गांव ने बनाई नई पहचान

भारत वीर सिंह गुर्जर ने बताया कि गांव में बच्चों की शिक्षा की शुरूआत ब्रिटिश शासन कालीन समय में 1930 में प्राथमिक विद्यालय से हुई। 1936 में मुंशी मेघराज सिंह यहां सबसे पहले प्राथमिक शिक्षक हुए। गांव ने 77 शिक्षक दिये। जिनमें एक प्रोफेसर समेत मास्टर रामसिंह पूर्व प्रधानाचार्य जूनियर हाई स्कूल, पीतम सिंह, विक्रम सिंह, मांगेराम आदि शिक्षक तथा फतेह चंद शर्मा, रेखा आदि इंटर कालेज के प्रधानाचार्य रह चुके हैं। गांव में बच्चों की शिक्षा के लिए एक प्राथमिक, जूनियर हाईस्कूल व आदर्श कन्या इंटर कालेज है। विशाल क्रीड़ा स्थल व अन्य सुविधाओं से युक्त इस इंटर कालेज में अच्छी शैक्षिक व्यवस्था है। गांव में किसानों की सुविधा के लिये सिडीकेट बैंक शाखा भी है।

67 युवा आर्मी में तो 38 है यूपी पुलिस में

कोओपरेटिव बैंक में डायरेक्टर रहे भाजपा नेता बिजेंद्र सिंह उर्फ पप्पू बताते हैं कि गांव शिक्षकों के अतिरिक्त 67 युवा जहां विभिन्न आर्मी में सेवारत हैं। वहीं 38 यूपी पुलिस में नौकरी पर हैं। वहीं 50 युवक पुलिस व आर्मी व भर्ती के लिये तैयारी कर रहे हैं।

गांव के स्व. सुभाष चंद बागपत जिले के संघावली अहीर थाने में सिपाही थे तथा जो मुठभेड़ के दौरान बदमाशों की गोली से शहीद हुए थे। जिनकी स्मृति में गांव में स्मृति द्वार बना हुआ है।

उच्च पदों पर रहकर इन लोगों ने बढ़ाया गांव का गौरव

इस गांव के बाल गंगा मेघपाल, जगशरण जहां सेना में कर्नल रह चुके हैं, वहीं यशपाल सैनी बीडीओ के रूप में सेवा कर चुके हैं। गांव निवासी भारत वीर सिंह की पत्नी संतलेश गुर्जर वार्ड 3 से जिला पंचायत सदस्य रहीं।

गांव में कुटीर उद्योग लगे तो होगा कामगारों का भला

ग्राम प्रधान ब्रजपाल का कहना है कि करीब 300 से अधिक बाहर क्षेत्र के कामगार इस न्याय पंचायत के छह गांवों में हैं। जिनके सामने लॉकडाउन में रोजी-रोटी की समस्या है। यदि हां कोई कुटीर उद्योग लग जा तो उनको रोजगार मुहैया हो सकता है।

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