वर्दी वाला : बंदूक तय करती है जुर्म की सजा, उसी आधार पर पुलिसिया कार्रवाई Meerut News

आइपीसी में सबके लिए जुर्म की सजा एक ही है मगर मेरठ पुलिस के लिए जुर्म की सजा बंदूक तय करती है। यह बंदूक किसकी है उसी के आधार पर कार्रवाई की जाती है। पुलिस का तर्क है कि गोपाल काली ने अपने शस्त्र का दुरुपयोग किया है।

By Prem BhattEdited By: Publish:Thu, 19 Nov 2020 09:00 AM (IST) Updated:Thu, 19 Nov 2020 09:00 AM (IST)
वर्दी वाला : बंदूक तय करती है जुर्म की सजा, उसी आधार पर पुलिसिया कार्रवाई Meerut News
Special Column मेरठ में दीपावली पर पूर्व विधायक गोपाल काली की फायरिंग ने खूब तूल पकड़ा।

मेरठ, [सुशील कुमार]। Special Column भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में सन 1860 में लागू हुई थी। आइपीसी में सबके लिए जुर्म की सजा एक ही है, मगर मेरठ पुलिस के लिए जुर्म की सजा बंदूक तय करती है। यह बंदूक किसकी है, उसी के आधार पर कार्रवाई की जाती है। हाल में पूर्व विधायक गोपाल काली पर हवाई फायरिंग का मुकदमा दर्ज हुआ है। अब, पुलिस का तर्क है कि गोपाल काली ने अपने शस्त्र का दुरुपयोग किया है। ऐसे में उन पर गिरफ्तारी की धारा नहीं बनती, जबकि पांच मार्च को सपा नेता मुकेश सिद्धार्थ और उनके बेटे पर भी हर्ष फायरिंग करने में मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकेश और उनके बेटे की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने ताबड़तोड़ दबिश डाली। हाईकोर्ट से जमानत कराने के बाद ही राहत मिली। उस समय भी लाइसेंसी शस्त्र का दुरुपयोग ही हुआ था, मगर वहां कानून बदल गया था।

जाना था गोवा, पहुंचे जेल

सोतीगंज के चोर बाजार पर पुलिस ने शिकंजा कसा तो कबाडिय़ों ने बचने का प्लान तैयार किया। इस परेशानी की घड़ी में कबाडिय़ों ने गोवा में घूमने के लिए 15 दिनों का प्लान बना डाला ताकि पुलिस की कार्रवाई तब तक शांत हो जाए। कबाड़ी अपनी गाडिय़ों से ही मेरठ से गोवा के लिए निकल गए। पुलिस भी कबाडिय़ों के पीछे लगी हुई थी। पुलिस ने मुखबिर से कबाडिय़ों की गाडी में जीपीएस सिस्टम लगवा दिया। कबाड़ी जीपीएस से बचने के लिए अपनी गाडिय़ों में जीपीएस जैमर लगाकर चलते थे। इसबार कबाड़ी अपनी गाड़ी में जीपीएस जैमर लगाना भूल गए। कबाडिय़ों के इस टूर पर पुलिस की गाड़ी उनके पीछे लग गई। पुलिस ने घेराबंदी कर कबाडिय़ों को पकड़ लिया। गोवा का टूर कबाड़ी कर नहीं पाए, और चौधरी चरण सिंह जेल की सलाखों के पीछे पहुंच गए।

लुटेरों से पुलिस की लूट

लुटेरो का खौफ और पुलिस की सुरक्षा दोनों एक दूसरे से अलग अलग हैं, मगर इन दिनों ब्रह्मपुरी और नौचंदी पुलिस सुरक्षा के बजाय दहशत बांट रही हैं। हाल का एक वाकया है, जहां पुलिस की कार्रवाई काबिलेतारीफ थी, मगर लालच ने उसके इस अच्छे कार्य को पलीता लगा दिया। पुलिस की टीम ने दो बड़े कबाडिय़ों की कार में जीपीएस लगा दिया। दोनों कबाड़ी दूसरे प्रदेश में घूमने जा रहे थे। जीपीएस के आधार पर पुलिस ने पीछा कर अपनी कार की सीधी टक्कर कबाड़ी की कार में मार दी। उसके बाद कबाडिय़ों ने फायरिंग  की तो एक कबाड़ी के पैर में पुलिस की गोली लग गई। यहां तक पुलिस ने सराहनीय कार्य किया। उसके बाद दूसरे कबाड़ी को एनकाउंटर का डर दिखाकर सौदेबाजी शुरू हो गई। सौदा दो दिन में तय हुआ, और मोटी रकम लेकर कबाड़ी को बिना मुठभेड़ दिखाए जेल भेज दिया।

बद्दो को पकडऩा नामुमकिन है!

...को पकडऩा मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। अमिताभ बच्चन का ये डायलाग तो आपको याद ही होगा। इस समय पुलिस के अफसरों को भी यही डायलाग याद आ रहा है। ढाई लाख के इनामी बदन सिंह बद्दो को पकडऩा नामुमकिन हो गया है। पुलिस की कार्रवाई को लेकर हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव गृह को तलब कर लिया है। उसके बाद पुलिस ने बद्दो के घर की कुर्की कर कागजी कार्रवाई पूरी की। उसके अलावा पुलिस ने बद्दो के सहयोगियों की नींद जरूर उड़ा दी है, तब भी पुलिस अभी तक जान नहीं पाई कि बद्दो देश में है या विदेश भाग गया है। दरअसल, बद्दो ने मेरठ से संपर्क तोड़ लिया है। उससे भी अहम बात है कि बद्दो को पकडऩा तो दूर, पुलिस अभी तक कस्टडी से भागे तांत्रिक को भी नहीं पकड़ पाई है। ऐसे में पुलिस को भी अपनी कार्यशैली बदलने की जरूरत है।

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