विदेशों की तर्ज पर अब मेरठ में सुरक्षित प्रसव, अमेरिका की संस्था जपाइगो दे रही ट्रेनिंग
डब्ल्यूएचओ ने यूएसए की संस्था जपाइगो के साथ मिलकर मेरठ में सिजेरियन प्रसव की जगह सामान्य प्रसव कराने एवं मातृ व शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए नई टीम उतार दी है। अमेरिका की संस्था जपाइगो दे रही मेरठ में ट्रेनिंग। सिजेरियन नहीं सामान्य प्रसव कराएगी विदेशी टीम।
मेरठ, जागरण संवाददाता। सरकारी अस्पतालों में 40 प्रतिशत सिजेरियन प्रसव, जबकि विदेशों में दस प्रतिशत से भी कम...। इतना अंतर क्यों? डब्ल्यूएचओ ने यूएसए की संस्था जपाइगो के साथ मिलकर मेरठ में सिजेरियन प्रसव की जगह सामान्य प्रसव कराने एवं मातृ व शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए नई टीम उतार दी है। यह टीम मेडिकल कालेज से प्रसूताओं की स्क्रीनिंग कर उनका महिला जिला चिकित्सालय में प्रसव कराएगी।
डाक्टर कम तो क्या गम
डफरिन जिला अस्पताल में मिडवाइफरी लेड केयर यूनिट खुल रही है। मेडिकल कालेज में बीएससी नर्सिंग करने वाली छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। चूंकि यूपी में डाक्टरों की भारी कमी है, जबकि सिजेरियन में डाक्टर एवं एनेस्थेटिस्ट की जरूरत पड़ती है। जिला महिला चिकित्सालय की एसआइसी डा. सुमन ने बताया कि मेडिकल कालेज में 30 नए स्टाफ को प्रशिक्षित किया जा रहा है। जिला महिला अस्पताल में मिडवाइफरी लेड केयर यूनिट संभालने के लिए छह भारतीय एवं यूएस और फिलीपींस की दो विदेशी महिलाओं को तेलंगाना में ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
मेडिकल कालेज में प्रसूताओं को स्क्रीन करने के लिए नई ओपीडी बन रही है। ऐसी गर्भवती महिलाओं को छांटा जाएगा, जिन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं है। उन्हें बाद में डफरिन जिला महिला अस्पताल में विशेष कक्ष में भर्ती किया जाएगा। एसआइसी डा. सुमन ने बताया कि प्रसूताओं की सहमति एवं सहूलियत के आधार पर प्रसव कराया जाएगा। इसके लिए कई पोजीशन सुझाई जाएगी। प्रसूताओं को एक्सरसाइज, योग, खानपान एवं अन्य तकनीकी सुझाव व सहयोग दिए जाएंगे। प्रसव के लिए तैयार किए जा रहे दोनों कक्षों पर करीब 20 लाख का खर्च आएगा।