प्राकट्योत्सव पर जयकारों से गूंजा राधादामोदर मंदिर

हरिनाम संकीर्तन पर भक्तों ने किया नृत्य

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 11:45 PM (IST) Updated:Sat, 16 Feb 2019 12:55 AM (IST)
प्राकट्योत्सव पर जयकारों से गूंजा राधादामोदर मंदिर
प्राकट्योत्सव पर जयकारों से गूंजा राधादामोदर मंदिर

वृंदावन, जासं।

राधादामोदर मंदिर में शुक्रवार को ठाकुरजी के प्राकट्योत्सव पर धार्मिक आयोजन हुए। हरिनाम संकीर्तन की धुन पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया।

ठाकुरजी के प्राकट्योत्सव पर मंदिर में कार्यक्रम हुए। मंदिर में सेवायतों ने सुबह ठाकुरजी का पंचामृत से महाभिषेक किया। हरिनाम संकीर्तन की धुन पर श्रद्धालुओं ने जमकर नृत्य किया। इसके बाद ठाकुरजी का विशेष श्रृंगार कर दर्शन खुले तो भक्तों के जयकारे से मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा। 1558 में जीव गोस्वामी ने कराया था मंदिर का निर्माण

सप्तदेवालयों में प्रमुख राधादामोदर मंदिर गौरांग महाप्रभु के परिकरों का धाम है। रूप और जीव गोस्वामी की भजन स्थली भी है। यहां चार गौड़ीय आचार्यों के सेवित श्रीविग्रहों का दर्शन है। गर्भगृह में कृष्णदास कविराज की ओर से सेवित राधा वृंदावनचंद्र, जीव गोस्वामी के राधादामोदर, गीत गो¨वद के रचयिता जयदेव के उपास्य राधा माधव व भूगर्भ गोस्वामी के छैल चिकन महाराज स्थापित हैं।

सन 1558 में चैतन्य महाप्रभु के प्रधान अनुयायी जीव गोस्वामी ने मंदिर का निर्माण करवाया। यहां सात आरती, पांच भोग की सेवा है। माखन मिश्री का भोग विशेष है। औरंगजेब के आक्रमण काल में मंदिर के विग्रह को जयपुर में विराजमान करवाया गया। करीब 125 साल जयपुर में रहने के बाद उन्हें दोबारा वृंदावन लाया गया। जहां आज भी बड़े सेवा भाव से वैष्णव संप्रदाय के अनुसार सेवापूजा हो रही है।

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