मलिन बस्ती में गंदगी के बीच काट रहे जिदगी

कहने को बस्ती का नाम लक्ष्मी नगर है लेकिन नगर निगम के रिकार्ड में

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 04:14 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 04:14 AM (IST)
मलिन बस्ती में गंदगी के बीच काट रहे जिदगी
मलिन बस्ती में गंदगी के बीच काट रहे जिदगी

जागरण संवाददाता, मथुरा: कहने को बस्ती का नाम लक्ष्मी नगर है, लेकिन नगर निगम के रिकार्ड में है मलिन बस्ती। इस बस्ती की दो तस्वीर हैं। एक में लक्ष्मी की कृपा से आबादी खुशहाल है, तो दूसरे के नसीब में गंदगी के बीच जीवन बसर करना लिखा है। कच्चे नाले से दलदल बन गया है। खरपतवार उग आए हैं। जहरीले कीड़ों का डर दलदल के किनारे की आबादी को सताता है।

हाईवे से श्रीकृष्ण जन्मभूमि लिक मार्ग स्थित लक्ष्मी नगर में प्रवेश करते ही विकास की जो तस्वीर उभर कर सामने आएगी, उससे देखकर नहीं लगता है कि ये मलिन बस्ती है। साफ-सुथरे इंटरलाकिग मार्ग और बिना सिल्ट भरी नालियां। ऊंचाई पर बस्ती के होने के कारण नालियों में सिल्ट जमा नहीं होती है। जैसे-जैसे बस्ती के अंतिम छोर पर पहुंचते हैं, वहां का परिदृश्य डरावना नजर आएगा। बस्ती के बीच से नाला बहता है जो कच्चा है। लक्ष्मी नगर और मनोज विहार कालोनी के बीच रेलवे लाइन गुजरती है। रेलवे लाइन के किनारे करीब चार-पांच सौ आवास हैं, जो नाले से बने दलदल से प्रभावित हैं। दलदल के ऊपर ही कचरा पड़ा है। किनारे पर झाड़ी-खरपतवार उग आए हैं। इनके बीच जहरीले कीड़े पनप रहे हैं, जो लोगों के घरों में घुस रहे हैं। बारिश होने पर नाला उफन जाता है और पानी लोगों के घरों में घुस जाता है।

मलिन बस्ती में शामिल दूसरी कालोनी मनोज विहार का भी यही हाल है। यहां पर पचास-साठ मकान हैं, जो गंदगी से प्रभावित हैं। दुर्गंध से बस्ती के लोग परेशान हैं। नाले को पक्का कर सरस्वती कुंड नाले से जोड़ने के लिए प्रभावित लोगों ने नगर निगम में तमाम प्रार्थना पत्र दिए, लेकिन उनकी समस्या का निस्तारण नहीं हो सका। -प्रभावित लोग बोले:

-यहां जमीन लेकर हमें आज पछतावा हो रहा है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन गंदगी से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है। घरों में सांप और कीड़े कब निकल आएं, इसका हमेशा डर लगा रहता है। बारिश में पानी घरों में घुस जाता है। नाला पक्का हो जाए और लाइन के किनारे नाली बन जाए तो समस्या का हल हो जाएगा।-कालीचरन, स्थानीय निवासी -गंदगी से तमाम बीमारियां पनप रही हैं। अधिकांश घरों में कोई न कोई बीमार बना रहता है। मच्छर और मक्खी का प्रकोप बारहमासी हो गया है। चार-पांच दिन में मुझे बुखार से छुटकारा मिला है। अब दो बच्चे और बीमार हो गए। पड़ोस में भी कई लोग बीमार पड़े हैं। किसी को बुखार तो किसी को मलेरिया है। नियमित कीटनाशक को छिड़काव होना चाहिए, जो नहीं हो रहा है।

-हेमलता शर्मा, स्थानीय निवासी -इनसे सीखें : गंदगी तो कोई भी पसंद नहीं करता है, लेकिन कुछ लोगों की सोच ऐसी है कि वह कूड़ा-कचरा आम रास्तों में फेंक देंगे। पालीथिन में भरकर नालियों में डाल देते हैं। हम अपना घर भी साफ करते हैं। सफाई कर्मचारी नहीं आता है, तो मैं तो अपनी गली को भी साफ कर देती हूं। जब भी मैं क्षेत्र में निकलती हूं। गलियों में जहां भी गंदगी मिलती है, वहां के लोगों से कहती भी हूं। डस्टबिन में कचरा क्यों नहीं डालते हैं। जब कचरा लेने के लिए गाड़ी आ रही है, तो उसमें क्यों नहीं डालते हैं। लोगों को बताती हूं, दो बाल्टी प्लास्टिक की घर में रख लो। एक में गीला तो दूसरे में सूखा कचरा रख लो और गाड़ी आए तो उसमें डाल दो। कई बार खुद मैंने सफाई अभियान भी चलाया। लोगों को जागरूक किया। लोगों को अब गंदगी से निजात पाने के लिए जागरूक होना पड़ेगा। रश्मि शर्मा, पार्षद नगर निगम -मारना ही होगा मच्छर:

-मच्छर और मक्खी दोनों ही गंदगी में पनपते हैं। मच्छर में वायरस होता है। जो कई बीमारियों को फैलाता है। मक्खी खान-पान की सामग्री के ऊपर अपने पैरों से गंदगी चिपका कर छोड़ती है। मनुष्य के लिए दोनों ही घातक हैं। अगर मच्छर किसी एक बीमार आदमी को काट लेता है, और फिर वही दूसरे को काट ले। इससे वह बीमारी का वाहक बन जाता है। घर में एक व्यक्ति को मलेरिया हो गया तो दूसरे को होना ही है। क्योंकि मच्छर के जीवनकाल में उसका लार्वा समाप्त नहीं होता है। इसलिए मच्छर को मारना ही होगा। मच्छर तभी मरेगा, जब गंदगी खत्म होगी।

-डा. भारती गर्ग, फिजीशियन लोगों की बात -यह त्योहार का समय है। दीपावली पर लोग अपने घर और प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई कर रहे हैं। घरों से जो कचरा निकल रहा है। उस कचरे को लोग सड़क और गलियों में न डालें। अगर, हम लोग ही उस कचरे को खुले में फेंक देंगे तो इसको तो गंदगी का सामना करना पड़ेगा, लेकिन दूसरों को भी परेशानी होगी। नालियों में फेंक दिए जाने से कचरा जमा हो जाएगा। वह सड़ेगा। इससे मच्छर पैदा होंगे। मच्छर पैदा होने से बीमारियां फैलेंगी। बीमारी की चपेट में खुले में गंदगी करने वाले भी आएंगे और दूसरे लोग भी प्रभावित होंगे।

सुनील साहनी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष उप्र उद्योग व्यापार मंडल -सफाई तो सभी स्थानों पर नियमित कराई जा रही है। मलिन बस्तियों में सफाई के साथ-साथ चूना छिड़काव का कार्य कराया जा रहा है। पहले मलिन बस्तियों में जो शनिवार और रविवार को विशेष सफाई अभियान चलाया गया था। वह बीच में अपरिहार्य कारणों के कारण महीने-डेढ़ महीने के लिए बंद करना पड़ गया। इस अभियान को दोबारा से शुरू कराया जाएगा। इसमें मैं स्वयं मौजूद रहूंगा।

-डा. मुकेश आर्यबंधु, महापौर मलिन बस्ती वाली खबर के साथ -15 कर्मचारी पूरे वार्ड में तैनात हैं।

-2011 की जनगणना के आधार इनकी नियुक्ति।

-4000 करीब आबादी है।

-300 आवास दलदल किनारे बने हैं। -2 से 3 दिन में आता है सफाई का नंबर।

-2 गाड़ियां घर-घर से कूड़ा का कर रहीं कलेक्शन।

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