अभियान--कब तक ताकते सरकार, खुद दूर किया जलभराव

एक हजार एकड़ से अधिक खेत की जमीन बन गई थी झील चंदा कर पंप सेट लगा समस्या का खोजा हल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Jul 2019 11:33 PM (IST) Updated:Wed, 10 Jul 2019 06:29 AM (IST)
अभियान--कब तक ताकते सरकार, खुद दूर किया जलभराव
अभियान--कब तक ताकते सरकार, खुद दूर किया जलभराव

मनोज चौधरी, मथुरा: अरावली पर्वत के अंतिम छोर पर राजस्थान सीमा से लगे गांव सिरथला के किसानों की एक हजार एकड़ से अधिक की खेती की जमीन झील में तब्दील होती चली जा रही थी। बरसात के पानी की निकासी के लिए किसानों ने जनप्रतिनिधियों से लेकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक गुहार लगाई। सुनवाई न होने पर किसानों ने देसी फार्मूला अपनाया। चंदा से 20 लाख रुपये एकत्र किया। बड़े-बड़े पंप सेट लगाकर पानी को लिफ्ट कर पखरपुर ड्रेन में लगातार डाला जा रहा है। इससे जलभराव से छुटकारा मिल गया। आज किसान खुशहाल हैं।

छाता तहसील के गांव सिरथला के किसानों की भूमि पर कामर, नुनरेा, गढ़ी बरबारी, लालपुर, दहगांव, बठैन छोटी, हुलवाना, कादौना, रूठरी खेरा और पूठरी गांव का एकत्रित हो जाता था। एक बार पानी भर जाने पर छह-सात महीने तक निकासी नहीं हो पाती थी। करीब दो दशक तक किसान इस समस्या के हल के लिए जनप्रतिनिधि, अधिकारी, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के लिए पत्राचार करते रहे। इंजीनियर भी पहुंचे, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। पखरपुर ड्रेन किसानों के खेतों से करीब छह फीट ऊंचा था। सरकारी मदद न मिलने पर किसानों ने चंदा किया।

पूर्व प्रधान नारायण सिंह, गिरवर और ठक्की कहते हैं कि खेतों के चारों तरफ एक नाला खोदा गया। पखरपुर ड्रेन के समीप बड़े-बड़े पंपसेट लगाए गए। खेतों का पानी नाले के जरिए पंपसेट तक पहुंचता है और वहां से लिफ्ट कर पखरपुर ड्रेन में डाला जा रहा है। अब किसान रबी और खरीफ की फसल ले रहे हैं। पहले उनको एक फसल मिल पाती थी। कभी तो खेत खाली रह जाते थे। किसानों की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो गई थी, लेकिन अब उनके हालात सुधर रहे हैं। किसानों का कहना था कि पानी लिफ्ट करने पर जो खर्च आता है, उसको सभी बराबर वहन करते हैं। ---पखरपुर ड्रेन ऊंची है और खेत नीचे हैं। इसलिए किसानों के खेत पर विभाग कोई कार्य नहीं कर सकता था। समस्या के स्थाई समाधान के लिए परियोजना बनाकर शासन को भेजी गई है। इसके मंजूर होते ही वहां नई ड्रेन का निर्माण कराकर जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान कर दिया जाएगा।

-संजीव तिवारी, एई, अपर खंड आगरा कैनाल, आगरा -शासन-प्रशासन को समस्या से पहले कई बार अवगत कराया गया, लेकिन कोई राहत नहीं मिली थी। तब ग्रामीणों ने करीब 20 लाख रुपये का चंदा कर पंपिग सेट लगवाए और नाली खोदी। अब इसका संचालन भी ग्रामीण चंदा करके कर रहे हैं। वर्ष भर में करीब डेढ़ लाख रुपये का खर्च आता है। सिचाई विभाग ने पखरपुर ड्रेन को पक्का करने का ही प्लान बनाया है, जिस पर अभी कम शुरू नहीं हुआ है।

--बृज किशोर, प्रधान सिरथला

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