जिला अस्पताल में सुविधाओं को ही कर दिया आइसोलेट

जासं मैनपुरी ये जिला अस्पताल की इमरजेंसी है। कोरोना की वजह से पांच महीनों से ओपीडी सेवाओं पर ताला लगा हुआ है। जिले भर से मरीज सिर्फ इमरजेंसी पहुंच रहे हैं लेकिन यहां तो सुविधाएं ही आइसोलेट हैं? इमरजेंसी की माइनर ओटी में एंगिल तो हैं लेकिन यहां लगे फैन काम नहीं कर रहे हैं? कई तो गायब ही हैं? इससे मरीजों को परेशानी हो रही है। इसको लेकर अधिकारी बेपरवाह बने हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 31 Aug 2020 04:16 AM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2020 06:05 AM (IST)
जिला अस्पताल में सुविधाओं को ही कर दिया आइसोलेट
जिला अस्पताल में सुविधाओं को ही कर दिया आइसोलेट

जासं, मैनपुरी: ये जिला अस्पताल की इमरजेंसी है। कोरोना की वजह से पांच महीनों से ओपीडी सेवाओं पर ताला लगा हुआ है। जिले भर से मरीज सिर्फ इमरजेंसी में पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां तो सुविधाएं ही आइसोलेट हैं। इमरजेंसी की माइनर ओटी में एंगिल तो हैं लेकिन पांच पंखे ही गायब हैं। बाहर हॉल में भी तीन पंखे खराब हैं। माइनर ओटी में आने वाले मरीजों को उमस भरी गर्मी में अव्यवस्था से जूझना पड़ रहा है। उपचार करने वाले डॉक्टर और स्टाफ को भी पसीना बहाते हुए इलाज देना पड़ रहा है। कई दिनों से बनी इस अव्यवस्था को दूर कराने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए।

कोविड मरीजों और डॉक्टरों को भी हो रही असुविधा

हाल में तीन बिस्तरों को संदिग्ध कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किया गया है। यहां भर्ती मरीजों के लिए हवा के इंतजाम नहीं हैं। दो पंखे खराब होने से मरीजों को गर्मी से जूझना पड़ता है। इमरजेंसी में डॉक्टर कक्ष में लगा एसी भी खराब पड़ा हुआ है। ऐसे में पीपीई किट पहनकर काम करना संभव नहीं हो रहा।

इमरजेंसी की इन सुविधाओं पर लगा ग्रहण

लगभग 20 हजार रुपये कीमत से आरओ मशीन लगवाई गई थी। कुछ दिन बाद ही तकनीकी खराबी बताकर गायब कर दिया गया।

डॉक्टर रूम में पुराना एसी हटवाकर लगभग 30 हजार कीमत से नया एसी लगवाया गया, लेकिन आज तक वह चल ही नहीं सका।

मरीजों के मनोरंजन और योजनाओं की जानकारी के लिए लगभग 40 हजार रुपये कीमत से हाल में एलईडी टीवी लगवाई गई थी। इसका सेटअप बॉक्स ही गायब हो गया। टीवी बंद कर दी गई।

लैंड लाइन टेलीफोन पर धनराशि खर्च करने के बाद उसका संचालन कराया ही नहीं गया।

केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन द्वारा मई में भेंट की गई सैनिटाइजिग मशीन में केमिकल ही नहीं भरवाया जा सका।

मरम्मत के नाम पर होता खेल: अस्पताल प्रशासन के कर्मचारियों और ठेकेदार के बीच तालमेल की वजह से अक्सर उपकरणों में कमी आती ही रहती है। सीलिग फैन, कूलर, सबमर्सिबल पंप, लाइट फिटिग के नाम पर हर महीने हजारों का बिल बनाकर पास किया जा रहा है।

सीलिग फैन क्यों नहीं चल रहे हैं, इसकी पड़ताल कराई जाएगी। यदि तकनीकी खराबी है तो उसे दुरुस्त कराया जाएगा। संबंधित पटल देखने वालों से भी पूछताछ की जाएगी। डॉ. आरके सागर, सीएमएस, जिला अस्पताल।

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