अधिकारियों की उदासीनता से पर्यटन क्षेत्र 'उदास'

जागरण संवाददाता, महोबा: महोबा का पर्यटन विकास फिलहाल संवादों तक ही सीमित है। जिन स्थानों प

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Aug 2018 11:22 PM (IST) Updated:Sun, 12 Aug 2018 11:22 PM (IST)
अधिकारियों की उदासीनता से पर्यटन क्षेत्र 'उदास'
अधिकारियों की उदासीनता से पर्यटन क्षेत्र 'उदास'

जागरण संवाददाता, महोबा: महोबा का पर्यटन विकास फिलहाल संवादों तक ही सीमित है। जिन स्थानों पर आम लोगों की सहज आस्था है, उनके विकास और सुंदरीकरण के भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। वन भूमि के नाम से संरक्षित किए गए गए पौराणिक महत्व के गोरखगिरि का भी यही हाल है। सुंदरीकरण और विकास तो दूर विभाग ने बीते पांच वर्ष में यहां एक पौधा तक रोपित नहीं किया। इसका खुलासा खुद विभाग ने अपने जवाबी पत्र में किया है।

जनपद में अनेक पहाड़ ऐसे हैं जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य से बरबस लोगों को आकृष्ट करते हैं। स्थानीय लोग ही नहीं कानपुर-सागर व झांसी-मिर्जापुर राष्ट्रीय राजमार्गों से गुजरने वाले राहगीर भी इन पहाड़ों और प्राकृतिक सौंदर्य को देखते हैं। अकूत प्राकृतिक सौंदर्य संपदा से धनी होने के बाद भी जनपद पर्यटन उद्योग के विकास के केवल ताने बाने की कल्पना ही कर रहा है। जनप्रतिनिधियों की उदासीनता हो या प्रशासनिक अफसरों की बेपरवाही, यहां का वास्तविक विकास और सुंदरीकरण पूरी तरह ठप है।

ऐतिहासिक गोरखगिरि अपने विकास की राह अभी तक ताक रहा है। वन क्षेत्र घोषित होने की वजह से कोई वहां कुछ नया काम नहीं कर सकता और वन विभाग ने कुछ करने की जरूरत नहीं समझी। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में प्रभागीय वनाधिकारी रामजी राय ने साफ तौर पर बताया कि बीते वित्तीय वर्ष जनपद में कुल 28 लाख 30 हजार पौधरोपण कराया गया। गोरखगिरि में बीते पांच सालों से कोई पौधरोपण नहीं किया गया, इस वर्ष वहां पौधरोपण का कोई लक्ष्य भी नहीं है। वहां मौजूद सरोवर की सफाई तो वन विभाग ने आज तक कभी कराई ही नहीं। अब पहाड़ी पर स्थित प्राकृतिक तालाब की सफाई की कार्ययोजना बनाकर जिलाधिकारी को भेजी गई है। धनराशि प्राप्त होने पर सफाई कराई जाएगी।

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