तराई में 1362 लोग टीबी से ग्रसित
तराई की प्रदूषित आबोहवा और धूलधकड़ यहां के लोगों के फेफड़े को छलनी कर रही है। लिहाजा जनपद के 1362 लोग टीबी की बीमारी से ग्रसित हो अपनी जिदगी गुजार रहे हैं।
महराजगंज: तराई की प्रदूषित आबोहवा और धूलधकड़ यहां के लोगों के फेफड़े को छलनी कर रही है। लिहाजा जनपद के 1362 लोग टीबी की बीमारी से ग्रसित हो अपनी जिदगी गुजार रहे हैं। इन मरीजों का टीबी क्लिनिक पर इलाज भी चल रहा है।
प्रदेश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग से मुक्ति कराने के लिए शासन की पहल पर क्षय रोग विभाग द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। जिले में 11 से 23 अक्टूबर तक सक्रिय टीबी रोगी खोजी अभियान चलाया गया। इसमें कुल 120 टीमें लगाई गई थी।
टीम ने कुल 1970 लोगों के बलगम का नमूना लिया, इसमें टीबी के 142 मरीज पाए गए। इस प्रकार अब तक जिले में 1362 मरीज टीबी की बीमारी से ग्रसित हो, जिदगी व्यतीत कर रहे हैं। हालांकि विभाग द्वारा इनके पोषण के लिए प्रत्येक माह पांच सौ रुपये भी दिए जाते हैं। लेकिन इनकी सेहत में सुधार नहीं हो पा रहा है।
जिला क्षय रोग अधिकारी/ एसीएमओ डा. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में इन दिनों 1362 मरीजों का उपचार चल रहा है। इसमें से निक्षय पोषक योजना के तहत मरीजों के पोषक के लिए प्रति माह 500 रुपये की धनराशि दी जाती है। पहली अप्रैल 2019 से 30 सितंबर तक 812 टीबी मरीजों को करीब 16.24 लाख की धनराशि पोषण के लिए दी गई है। अन्य लोगों के लिए प्रक्रिया चल रही है।
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पनियरा और नौतनवा में मिले अधिक मरीज
महराजगंज : अभियान में पनियरा और नौतनवा में सबसे अधिक मरीज मिले, जबकि लक्ष्मीपुर में सबसे कम छह मरीज पाए गए। पनियरा ब्लाक में 187 लोगों के नमूने लिए गए जिसमें से सर्वाधिक 25 टीबी रोगी मिले। जबकि लक्ष्मीपुर के 117 नमूनों में से सबसे कम छह मरीज टीबी के पाए गए। इसी प्रकार नौतनवा के 236 नमूनों में से 23 मरीज, निचलौल के 198 नमूनों में से 15 मरीज, फरेंदा के 135 नमूनों में से 14 मरीज, सिसवा के 210 नमूनों में से 13 मरीज तथा बृजमनगंज व घुघली में आठ-आठ मरीज टीबी के पाए गए।
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