लखनऊ के चार बड़े अस्पतालों पर 13.74 करोड़ का जुर्माना, जानें क्‍या है वजह Lucknow News

अस्पताल के कचरे व दूषित उत्प्रवाह का उपचार न किए जाने पर उप्र सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एंड मॉनीटर‍िंंग कमेटी ने लगाया जुर्माना एनजीटी को भेजी रिपोर्ट।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 02 Aug 2019 08:17 PM (IST) Updated:Sat, 03 Aug 2019 08:12 AM (IST)
लखनऊ के चार बड़े अस्पतालों पर 13.74 करोड़ का जुर्माना, जानें क्‍या है वजह  Lucknow News
लखनऊ के चार बड़े अस्पतालों पर 13.74 करोड़ का जुर्माना, जानें क्‍या है वजह Lucknow News

लखनऊ, जेएनएन। अस्पताल के कचरे के सुरक्षित निस्तारण के संबंध में लागू जैव चिकित्सीय अपशिष्ट नियम 2016 का उल्लंघन करने के आरोप में एनजीटी द्वारा गठित उत्तर प्रदेश सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी ने गोमती नगर के चार बड़े अस्पतालों पर कुल 13 करोड़ 74 लाख रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया है। इन अस्पतालों में गोमती नगर स्थित डॉ.राम मनोहर लोहिया संयुक्त अस्पताल, मेयो अस्पताल, नोवा (फोर्ड) अस्पताल व  सेंट जोसेफ  हॉस्पिटल शामिल हैं। हर अस्पताल को अलग-अलग तीन करोड़ 43 लाख 50 हजार रुपये का पर्यावरणीय हर्जाना भरना होगा। 

इन सभी अस्पतालों से यह हर्जाना एक अप्रैल 2016 से 19 जून 2019 तक 1145 दिनों के लिए लगाया गया है। गत 19 जून को समिति के सचिव राजेंद्र सिंह तथा केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिक एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी की निरीक्षण टीम ने चारों अस्पतालों का दौरा किया था, जिसमें बायो मेडिकल वेस्ट अधिनियम 2016 के नियमों के उल्लंघन के साथ-साथ जल एवं वायु अधिनियम की भी धच्जियां उड़ती पाई गईं। अस्पतालों में कचरे नियमों के तहत सुरक्षित निपटान के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।

राम मनोहर लोहिया संयुक्त अस्पताल तथा सेंट जोसेफ अस्पताल ने जल एवं वायु प्रदूषण निवारण अधिनियम के तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति प्राप्त नहीं की थी जो पर्यावरण नियमों का घोर उल्लंघन है। मेयो अस्पताल व नोवा अस्पताल में ईटीपी व एसटीपी नहीं चलाए जाते हैं। प्रदूषित उत्प्रवाह को ड्रेन में बैगर उपचार के बहा दिया जाता है। बड़ी मात्रा में इन अस्पतालों से अस्पताली कचरा निकलता है लेकिन उसकी न तो कोई लॉग बुक बनाई गई है और न ही उसका निस्तारण कैसे किया जाता है उसका कोई लेखा-जोखा ही मिला।

अस्पतालों के प्रतिनिधियों को भी यह मालूम नहीं है कि उनके अस्पताल से रोजाना बड़ी मात्रा में जैव चिकित्सा अपशिष्ट निकल रहा है। समिति ने निर्देश दिए हैं कि अस्पताल यह सुनिश्चित करें कि अस्पताल के कचरे के निस्तारण के लिए रंगीन कंटेनर इस्तेमाल में लाए जाएं। साथ ही ईटीपी और एसटीपी को नियमित रूप से चलाया जाए और अस्पताल के कचरे के उत्पादन और निस्तारण के लिए लॉग बुक बनाई जाए। कमेटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने यह रिपोर्ट एनजीटी को भेज दी है। 

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