अब दुधवा नेशनल पार्क में होगा स्मॉल कैट का भी संरक्षण, पहली बार संरक्षित क्षेत्र में हो रहा यह कार्य
बिग कैट के बाद अब दुधवा नेशनल पार्क में स्मॉल कैट का भी संरक्षण किया जाएगा। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम के ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी के तहत स्मॉल कैट संरक्षण के लिए भारत में जिन तीन स्थानों का चयन किया गया है उनमें एक दुधवा नेशनल पार्क भी है।
लखनऊ [शोभित श्रीवास्तव]। बिग कैट के बाद अब दुधवा नेशनल पार्क में स्मॉल कैट (छोटी बिल्ली) का भी संरक्षण किया जाएगा। यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोग्राम (यूएनडीपी) के ग्लोबल एनवायरमेंट फैसिलिटी (जीइएफ) के तहत स्मॉल कैट संरक्षण के लिए भारत में जिन तीन स्थानों का चयन किया गया है, उनमें एक दुधवा नेशनल पार्क भी है। इसके तहत लेपर्ड कैट, जंगल कैट, फिशिंग कैट और सीवेट कैट का संरक्षण किया जाएगा। यह पहला मौका है, जब संरक्षित क्षेत्र में स्मॉल कैट का संरक्षण किया जा रहा है।
बड़े प्राकृतवास में संतुलन तभी बनता है जब वहां बड़े जानवरों के साथ ही छोटे जानवर भी पर्याप्त मात्रा में रहते हैं। इसलिए स्मॉल कैट की जंगल में उपस्थिति जरूरी मानी जाती है। हाल ही में राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (एनसीबीएस) के अध्ययन में भी दुर्लभ और छोटी जंगली बिल्लियों के संरक्षण की सबसे अधिक आवश्यकता बताई गई है। इस अध्ययन में यह पाया गया कि स्मॉल कैट की कुल छह से 11 फीसद संख्या ही संरक्षित क्षेत्र में रहती हैं, बाकी असुरक्षित क्षेत्रों में हैं।
फिशिंग कैट को संरक्षण की सबसे अधिक जरूरत : दुधवा नेशनल पार्क के फील्ड डायरेक्टर संजय पाठक ने बताया कि फिशिंग कैट दुर्लभ है और इसे संरक्षण की सबसे अधिक जरूरत है। जंगल कैट जैसी प्रजातियां भारतीय उपमहाद्वीप में ही पाई जाती हैं। इसलिए इसके संरक्षित क्षेत्र का दायरा और बढ़ाने की जरूरत है। यूं तो भारत कैट फैमिली खासकर स्मॉल कैट का गढ़ है। देश में बड़ी संख्या में संरक्षित क्षेत्र होने के बावजूद जंगली बिल्लियों के लिए जगह कम है। वहीं, संरक्षित क्षेत्र के बाहर इनका जीवित रहना कठिन व चुनौतीपूर्ण होता है। इसी समस्या को देखते हुए यूएनडीपी-जीइएफ ने देश में राजस्थान के रणथंभौर नेशनल पार्क, उत्तर प्रदेश के दुधवा नेशनल पार्क व आंध्र प्रदेश के पक्के टाइगर रिजर्व का चयन किया है। अब इन संरक्षित क्षेत्र में इनका संरक्षण किया जाएगा।
पांच साल के प्रोजेक्ट में मिलेंगे 20 करोड़ : यूएनडीपी का यह प्रोजेक्ट पांच साल के लिए दिया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश को 20 करोड़ रुपये मिलेंगे। इसमें स्मॉल कैट संरक्षण के लिए विस्तृत प्लान बनाकर सभी स्टेक होल्डर जैसे उत्तर प्रदेश वन एवं पर्यावरण विभाग के अलावा यूएनडीपी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ व ग्लोबल टाइगर फोरम मिलकर काम करेंगे व लोगों को जागरूक करेंगे।
लुप्त होती जा रही स्मॉल कैट का हो सकेगा संरक्षण : प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव सुनील पाण्डेय ने कहा कि यह खुशी की बात है कि स्मॉल कैट के संरक्षण के लिए जिन तीन स्थानों का चयन किया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश का दुधवा नेशनल पार्क भी है। देश में पहली बार स्मॉल कैट का संरक्षण, संरक्षित क्षेत्र में करने के लिए प्रोजेक्ट मिला है। इससे लुप्त होती जा रही फिशिंग कैट, जंगल कैट, लेपर्ड कैट आदि का संरक्षण हो सकेगा। स्वस्थ जंगल के लिए इनकी उपस्थिति बेहद जरूरी है।