नोटबंदी से मजदूरी संकटः विकास योजनाओं का क्रियान्वयन रुका

पखवारे से मजदूर सड़क खोदता है और फिर बंद कर देता है। उसे 2000 घरों वाले मोहल्ले में पाइपलाइन बिछानी है लेकिन वह केवल 5 मीटर सड़क खोद पाया है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Tue, 29 Nov 2016 07:55 PM (IST) Updated:Tue, 29 Nov 2016 08:38 PM (IST)
नोटबंदी से मजदूरी संकटः विकास योजनाओं का क्रियान्वयन रुका

लखनऊ (जेएनएन)। बीते एक पखवारे से एक मजदूर कुछ दूर सड़क खोदता है और फिर उसे बंद कर देता है। उसे करीब 2000 घरों वाले एक मोहल्ले में पाइपलाइन बिछानी है लेकिन वह अब तक केवल 5 मीटर सड़क की सतह की खुदाई कर पाया है। उसके पास गए कुछ लोगों ने पूछ यह क्या कर रहे होतो उसने बताया कि यहां पाइपलाइन बिछनी है। लोगों का स्वाभाविक सवाल अकेले यह काम कर पाओगे तो उसने बताया कि अधिकारी काम शुरू करने के लिए कह रहे हैं। मजदूर पैसा मांग रहे हैं। इसलिए खुदाई का काम जारी है लेकिन मजदूर नहीं लगाए गए हैं। ऐसे एक नहीं अनेक उदाहरण, शहर, गांव और गली-मोहल्लों में देखने को मिल रहे हैं। नोटबंदी से सड़कों की मरम्मत, नालियां, पुलियों व शौचालयों का निर्माण आदि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर विपरित प्रभाव है। ठेकेदारों ने श्रमिकों का भुगतान रोक दिया है और बैंकों से मनरेगा जैसे भुगतान नहीं हो पा रहे हैं। पहले हड़ताल और अब नोटबंदी के चलते अब तक बजट का मात्र 29 प्रतिशत ही खर्च हो पाया है। चुनाव नजदीक होने और विकास ठप हो जाने से सरकार में बेचैनी है।

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श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ीं

राज्य वित्त आयोग और 14 वें वित्त आयोग का लगभग छह हजार करोड़ रुपये ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए खर्च होना था परंतु विभागीय सुस्ती व हड़ताल आदि के चलते बजट का व्यय नहीं हो पा रहा हैं। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में अभियंताओं की कमी और करीब दो माह हड़ताल रहने के कारण भी कार्य प्रभावित रहे। वहीं ग्राम्य विकास विभाग व पंचायतीराज विभाग के बीच अधिकारों को लेकर टकराव बने रहने से भी गांवों में विकास गति नहीं पकड़ पाया। ऐसे में विभिन्न योजनाओं का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल होगा।राष्ट्रीय पंचायती राज संगठन के सचिव नानक चंद शर्मा का आरोप है कि ग्रामीण विकास से जुड़े दो विभागों के टकराव से भी ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। विधायक व सांसद निधि के कार्य भी नहीं हो पा रहें। ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है। शौचालय निर्माण जैसा अभियान भी सुस्ती का शिकार है। बैंकों से राशि निकासी सीमा तय कर देने से मनरेगा सहित जिला योजना, विधायक व सांसद निधि, मार्ग प्रकाश, सड़क, पुलिया व सिंचाई आदि कामों पर भी असर पड़ा है। भुगतान नहीं होने से विकास थमने के साथ श्रमिकों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। राष्ट्रीय किसान और मजदूर संघ के कुलदीप कुमार का कहना है कि मजदूरों के लिए भुगतान का समाधान तत्काल नहीं किया तो भूखमरी के हालात बनेंगे।

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पांच को विधानसभा घेरेंगे

ग्राम्य विकास विभाग के अधीन कार्य न करने पर अड़े पंचायतीराज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पांच दिसंबर को विधानसभा का घेराव करेंगे। पंचायतीराज सेवा परिषद के बैनर तले तीन माह से जारी आंदोलन को तेज किया जाएगा। परिषद के अध्यक्ष एसएन सिंह ने ग्राम्य विकास विभाग के अधीन करने के शासनादेश को रद करने की मांग करते हुए मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है।

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