दस दिन में लाइसेंस न लिया तो बंद होंगी अवैध ट्रैवेल एजेंसियां, मनमानी पर लगेगी रोक

बिना लाइसेंस के ट्रैवेल एजेंसी बुक कर रही हैं टिकट। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर ठगे जा रहे यात्री।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Fri, 17 Jul 2020 10:47 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jul 2020 10:47 PM (IST)
दस दिन में लाइसेंस न लिया तो बंद होंगी अवैध ट्रैवेल एजेंसियां, मनमानी पर लगेगी रोक
दस दिन में लाइसेंस न लिया तो बंद होंगी अवैध ट्रैवेल एजेंसियां, मनमानी पर लगेगी रोक

लखनऊ, जेएनएन। राजधानी में टिकटों की बुकिंग करने वाली अवैध ट्रैवेल एजेंसियों पर परिवहन विभाग ने नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। ऑनलाइन बुकिंग के नाम पर मनमाना किराया वसूल रही इन एजेंसियों के पास यात्रियों का डाटा तक नहीं है। अगर दस दिन में आरटीओ ऑफिस से लाइसेंस न लिया गया तो अवैध रूप से चल रही इन ट्रैवेल एजेंसियों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बंद कराया जाएगा।

नहीं दी जाती सही जानकारी, मनमानी उगाही

दरअसल राजधानी में अवैध ट्रैवेल एजेंसियों का धंधा जोरों पर है। सारा कारोबार ऑनलाइन करते हैं। इसकी सही जानकारी तक लोगों को नहीं मिल पाती है। यह अवैध ट्रैवेल एजेंसियां बसों तक का टिकट बुक कर देती हैं। इसकी एवज में मनमाना किराया लिया जाता है। यही नहीं डग्गामार बसों तक की बुकिंग की जाती है। इसका खामियाजा यात्रियों को जांच के दौरान भुगतना पड़ता है। एजेंसी संचालक यात्रियों के टिकट ऑनलाइन नंबर से बुक तो कर देते हैं लेकिन उनके साक्ष्य यात्रियों के पास नहीं होते हैं। हादसे के दौरान यात्रियों के परिजनों तक को सूचित नहीं किया जा पाता है। हाल यह है कि सुरक्षित सफर के दावे तो किए जाते हैं लेकिन डग्गामार वाहनों में नियमों का पालन कराने वाला कोई नहीं हाेता है।

मात्र 17 के पास लाइसेंस

आरटीओ ऑफिस में मात्र 17 ट्रैवेल एजेंसियों ने लाइसेंस लिया है। जबकि ऑनलाइन 150 से अधिक एजेंसिया काम कर रही हैं। अधिकारियों के मुताबिक रोज करीब 8000 टिकटों की बुकिंग बसों के लिए की जाती हैं।

ऑफिस तक नहीं ऑनलाइन वसूली का धंधा

अवैध ट्रैवेल एजेंसियों के पास उनके ऑफिस तक नहीं हैं लेकिन वे बाकायदा ऑनलाइन बुकिंग कर यात्रियों से वसूली का धंधा कर रही हैं। शहर में तकरीबन 600 से अधिक ट्रैवेल एजेंसियां हैं. जिन्होंने रजिस्ट्रेशन तो कराया है लेकिन आरटीओ ऑफिस से लाइसेंस नहीं लिया है।

'सभी ट्रैवेल एजेंसिया जिनके पास लाइसेंस नहीं है वे तत्काल आरटीओ से लाइसेंस ले लें। दस दिन की मोहलत है। उसके बाद अभियान चला कार्रवाई की जाएगी और उन्हें बंद करा विधिक कार्रवाई की जाएगी।' - सिद्धार्थ यादव, सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रवर्तन 

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