नगर निगम की संपत्ति के अफसर खुद ही बने दुश्मन, अवैध कब्जेदारों से कर डाला सैादा

बाबू से लेकर अफसरों तक ने इन संपत्तियों का सौदा कर डाला। शहर में कई स्थानों पर रेंट विभाग की संपत्तियों पर कब्जे का खेल।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 03:53 PM (IST) Updated:Sun, 23 Sep 2018 10:42 PM (IST)
नगर निगम की संपत्ति के अफसर खुद ही बने दुश्मन, अवैध कब्जेदारों से कर डाला सैादा
नगर निगम की संपत्ति के अफसर खुद ही बने दुश्मन, अवैध कब्जेदारों से कर डाला सैादा

लखनऊ [अजय श्रीवास्तव]। नगर निगम के पास बेशकीमती संपत्तियां हैं। अगर उन्हें बेचा जाए तो नगर निगम का खजाना इतना भर जाए कि उसे सरकार से मदद की गुहार भी नहीं लगानी पड़ेगी, लेकिन इस संपत्तियों के दुश्मन के अफसर ही बन गए। बाबू से लेकर अफसरों तक ने इन संपत्तियों का सौदा कर डाला और अवैध कब्जेदारों को बसा दिया। मात्र सौ से तीन सौ रुपये किराए वाली इन संपत्तियों पर मकान की जगह होटल तक खुल गए।

लालबाग में की सुपर मार्केट में जिस तरह से अवैध निर्माण हो गया और का रेंट विभाग सोता रहा, उससे साफ है कि इन संपत्तियों को बचाने के लिए तैनात पीसीएस अधिकारी से लेकर निकाय सेवा के अधिकारियों के साथ ही निरीक्षकों ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन नहीं किया था। सुपर मार्केट में यह निर्माण भी ऐसी जगह हुआ था, जो सड़क से ही नजर आ रहा है और बगल में स्मार्ट सिटी का दफ्तर का निर्माण हो रहा है और के अधिकारियों का वहां आना-जाना रहता है।

सुपर मार्केट का मामला अभी सामने आया है, जबकि कुछ ऐसा ही हाल के चारबाग गुरुनानक मार्केट का भी है। होटल व्यवसायी मुकेश मकवानी की हत्या के बाद जब गुरुनानक मार्केट की संपत्तियों की पड़ताल की गई तो पता चला कि हत्यारोपी पूर्व पार्षद राजेंद्र सिंह दुआ मूल आवंटी तो नहीं है, लेकिन दस संपत्तियों पर दुआ का अवैध कब्जा है। इन संपत्तियों का मूल स्वरूप बदलकर होटल बना दिया गया है। किराए के आवास में होटल रॉयल दी, होटल पंजाब इन, होटल प्रीत, होटल हर्षदीप, होटल पंजाब पैलेस चल रहे हैं। इन संपत्तियों के किराए की रसीद भी मूल आवंटियों के नाम से भी जारी करता है, जबकि मूल आवंटियों का अता पता नहीं है। इसी तरह से गुरुनानक मार्केट में भी शहर के एक बड़े होटल व्यवसायी का भी अवैध कब्जा है, जो कम किराया देकर बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां 45 से तीन सौ मात्र ही किराया में जमा हो रहा है, लेकिन सिर्फ नोटिस देने के बाद आगे की कार्रवाई नहीं कर सका। अमीनाबाद में की मोहन मार्केट, गड़बड़झाला मार्केट, लालबाग के भोपाल हाउस में भी अवैध निर्माण हो गए। यहां भी मूल आवंटियों का कोई अता नहीं है और अवैध कब्जेदारों ने दो से तीन दुकानों को मिलाकर शो-रूम बना लिए हैं।

क्या कहते हैं अफसर ?

नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी का कहना है कि अधिकारियों की लापरवाही से ही रेंट विभाग की संपत्तियों पर कब्जे हुए हैं। इसके लिए जो अधिकारी व कर्मचारी जिम्मेदार होगा कार्रवाई की जाएगी। सभी संपत्तियों का सत्यापन कराया जाएगा।

वर्ष 1954 में रिफ्यूजी को दिए गए थे मकान व दुकान

1954 में भारत आए रिफ्यूजियों को गुरुनानक मार्केट की जमीन दी गई थी, जहां बाद में नीचे दुकान और ऊपर मकान थे। गुरुनानक मार्केट व बगल की चारबाग न्यू मार्केट में मकान व दुकान मिलाकर कुल 254 संपत्तियां हैं, लेकिन अधिकांश मूल आवंटी तो रहे नहीं तो उस पर नाका क्षेत्र के प्रभावशाली लोगों ने कब्जे कर लिए थे और एक दो मकान को छोड़ दीजिए तो उसमें होटल और गोदाम बना दिए गए हैं। बढ़े किराए पर नहीं मिली राहत

 ने अपनी संपत्तियों का किराया बढ़ा दिया है लेकिन किराएदार बढ़ा किराया नहीं दे रहे हैं और प्रशासन भी किराया वसूलने में लापरवाह साबित हो रहा है। की नोटिस के बाद शनिवार को गुरुनानक मार्केट के किराएदारों ने मेयर संयुक्ता भाटिया से मुलाकात की। मेयर ने कहा कि किराए की दरों को लेकर वह अधिकारियों के बातचीत के बाद ही कोई निर्णय ले सकेंगी। दरअसल सदन ने ही किराया बढ़ाए जाने को मंजूरी दी थी।

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