Deoria Lok Sabha Election: 40 वर्षों से खोई जमीन वापस पाने की जुगत में कांग्रेस, यहां छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र को मिली थी हार
देवरिया जिले की देवरिया-सलेमपुर सीटों पर अंतिम बार कांग्रेस को 1984 में जीत मिली थी। हालांकि सलेमपुर सीट सपा के खाते में होने के कारण कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। पार्टी ने देवरिया सीट से अखिलेश प्रताप को मैदान में उतारा है। वह पूर्व विधायक रहे हैं। पहली से लेकर 17वीं लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो यहां कांग्रेस को छह बार जीत तो 11 हार मिली है।
पवन कुमार मिश्र, जागरण देवरिया। लगातार 40 वर्षों से जीत से दूर रही रही कांग्रेस इस बार खोई जमीन वापस पाने की जुगत में जुटी है। आइएनडीआइ गठबंधन की ओर से देवरिया सीट पार्टी को मिली है और पार्टी पदाधिकारी इस चुनाव को सुनहरे मौके के रूप में देख रहे हैं। सपा के साथ से उन्होंने ताकत झोंक दी है।
जिले की देवरिया व सलेमपुर सीटों पर अंतिम बार पार्टी को 1984 में जीत मिली थी। हालांकि सलेमपुर सीट सपा के खाते में होने के कारण कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है। पार्टी ने देवरिया सीट से अखिलेश प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।
वह पूर्व विधायक रहे हैं। पहली से लेकर 17वीं लोकसभा चुनाव पर गौर करें तो देवरिया में कांग्रेस को छह बार जीत तो 11 बार हार मिली है। सलेमपुर लोकसभा सीट 1957 में बनने के कारण दूसरी से 17वीं लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस को छह बार जीत व 10 बार हार का सामना करना पड़ा।
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कांग्रेस को आखिरी बार देवरिया व सलेमपुर संसदीय सीट पर 1984 में जीत मिली थी। उस चुनाव में देवरिया सीट से कांग्रेस के राजमंगल पांडेय ने जीत हासिल की थी। उन्होंने लोक दल (एलकेडी) के रामधारी शास्त्री को एक लाख 45 हजार 101 मतों से हराया था।
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राजमंगल पांडेय को दो लाख 39 हजार 708 व रामधारी शास्त्री को 94 हजार 607 मत मिले थे। इसके बाद दोनों सीटों पर कांग्रेस लगातार हारती आ रही है। कई बार कांग्रेस प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई।
1984 के लोकसभा चुनाव में सलेमपुर सीट से लोक दल (एलकेडी) ने छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र को प्रत्याशी बनाया था लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के राम नगीना मिश्र ने जीत हासिल की थी।