Move to Jagran APP

यूपी की इस सीट पर बसपा प्रत्याशी ने मोदी लहर में भी दर्ज की थी जीत, अब मायावती ने नहीं घोषित किया प्रत्याशी

तराई की ककरीली पथरीली जमीन बसपा के लिए उर्वर रही है। पिछले चुनावों में निकाय से लेकर लोकसभा तक श्रावस्ती से पूरे शान से हाथी ने दौड़ लगाई है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से बसपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 2024 के चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करने में हो रही देरी हर ओर चर्चा का विषय है।

By Bhoopendra Pandey Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 29 Apr 2024 03:49 PM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2024 03:49 PM (IST)
भाजपा और सपा के निशाने पर बसपा का वोट बैंक

भूपेंद्र पांडेय, श्रावस्ती। तराई की ककरीली, पथरीली जमीन बसपा के लिए उर्वर रही है। पिछले चुनावों में निकाय से लेकर लोकसभा तक श्रावस्ती से पूरे शान से हाथी ने दौड़ लगाई है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन से बसपा उम्मीदवार ने जीत दर्ज की थी। 2024 के चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित करने में हो रही देरी हर ओर चर्चा का विषय है। इस बीच भाजपा और सपा के घोषित उम्मीदवार बसपा के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने में लगे हैं।

loksabha election banner

भिनगा विधानसभा क्षेत्र में भिनगा राज परिवार की पकड़ सबसे मजबूत रही है। यहां से चंद्रमणि कांत सिंह लगातार छह बार विधायक चुने गए। एक बार निर्दल और पांच बार भाजपा उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की थी। वर्ष 2007 के चुनाव में बसपा ने ही इस सीट पर राज परिवार का तिलिस्म तोड़ा था।

पांच में से चार सीटों पर बसपा का कब्जा

सपा से मैदान में उतरीं पूर्व विधायक चंद्रमणि कांत सिंह की पत्नी शुभाश्री देवी को हार का सामना करना पड़ा था। इस चुनाव में श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र की पांच विधानसभाओं में से चार पर बसपा उम्मीदवार को जीत मिली थी। सिर्फ तुलसीपुर विधानसभा भाजपा जीत पाई थी।

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा की आंधी चली तब भी भिनगा विधानसभा में राज परिवार के अलक्षेंद्र कांत सिंह को बसपा से शिकस्त मिली। हाथी की सवारी कर मुहम्मद असलम राइनी पहली बार विधानसभा पहुंचे थे। इससे पहले और बाद के चुनावों में भी बसपा हमेश लड़ाई में रही।

वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव जीत कर बसपा ने मतदाताओं में अपनी मजबूत पैठ का संदेश दिया। 29 अप्रैल को छठवें चरण के चुनाव के लिए श्रावस्ती लोकसभा क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर अधिसूचना जारी हो चुकी है। भाजपा ने इस बार सबसे पहले टिकट घोषित कर साकेत मिश्र को उम्मीदवार बनाया है। सपा ने बसपा से निष्कासित राम शिरोमणि वर्मा पर दांव खेला है। दोनों उम्मीदवार अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत करने में जुटे हैं।

जनसंपर्क, गांव-गांव चौपाल, नुक्कड़ सभा समेत अन्य कार्यक्रमों से उम्मीदवार मतदाताओं को जोड़ रहे हैं। बसपा का उम्मीदवार न हाेने से भाजपा और सपा दोनों की नजर बसपा के वोट बैंक पर है। इसके लिए दोनों ओर से चाल भी चली जा रही है।

मुस्लिम मतदाताओं का रुख पहचानने की भी कोशिश हो रही है। अभी तक किसी भी बड़े दल ने मुस्लिम उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। चुनाव जीतने के लिए भाजपा की कोशिश होगी कि मुस्लिम मतों को बिखराया जाए। सपा मुस्लिमों को एक साथ अपने पक्ष में खड़ा करना चाहती है। इसी बीच उम्मीद जताई जा रही है कि बसपा इस क्षेत्र में मुस्लिम कार्ड खेल सकती है। तस्वीर साफ न होने से मुस्लिम मतदाताओं ने भी फिलहाल चुप्पी साध रखी है।

इसे भी पढ़ें: भिखारी समझ रेलवे सुरक्षा बल ने पिलाया पानी तो युवक बोला- थैंक्यू, पूछताछ में रोंगटे खड़े करने वाली सुनाई आपबीती


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.