गनर गिरफ्तार, गायत्री प्रजापति कभी भी कर सकते हैं सरेंडर

प्रदेश सरकार के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के गनर चंद्रपाल को लखऩऊ के गौतमपल्ली पुलिस ने उसके घर जानकीपुरम से गिरफ्तार कर लिया है।

By Ashish MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Mar 2017 05:34 PM (IST) Updated:Mon, 06 Mar 2017 09:42 PM (IST)
गनर गिरफ्तार, गायत्री प्रजापति कभी भी कर सकते हैं सरेंडर
गनर गिरफ्तार, गायत्री प्रजापति कभी भी कर सकते हैं सरेंडर

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश सरकार के मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के गनर चंद्रपाल को लखऩऊ के गौतमपल्ली पुलिस ने उसके घर जानकीपुरम से गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है की मंत्री गायत्री को भी पुलिस जल्द गिरफ्तार कर सकती है।  

सामूहिक दुष्कर्म व अन्य मामलों में अपने सात साथियों के साथ नामजद गायत्री प्रसाद प्रजापति की गिरफ्तारी पर रोक से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। रविवार को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पत्र लिखकर गायत्री प्रसाद प्रजापति के मामले में बेहद नाराजगी जाहिर की थी।

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गौरतलब है कि सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपी उत्तर प्रदेश के मंत्री गायत्री प्रजापति को सुप्रीमकोर्ट से निराशा हाथ लगी है। कोर्ट ने प्रजापति को कोई भी राहत देने या गिरफ्तारी पर रोक लगाने से सोमवार को इन्कार कर दिया। इतना ही नही कोर्ट ने इस मामले को राजनैतिक रंग दिये जाने पर भी नाखुशी जताई। प्रजापति के खिलाफ फिलहाल गैरजमानती वारंट जारी हैं और वह गिरफ्तारी से बचने के लिए भागे हुए हैं। प्रजापति अमेठी से सपा के उम्मीदवार हैं।

सुप्रीमकोर्ट ने गत 17 फरवरी को एक महिला की सामूहिक दुष्कर्म की शिकायत पर प्रजापति व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच करने के पुलिस को आदेश दिये थे। कोर्ट ने पुलिस को सील बंद लिफाफे में आठ सप्ताह में प्रगति रिपोर्ट देने को भी कहा था। प्रजापति ने अर्जी दाखिल कर एफआइआर दर्ज करने का आदेश वापस लेने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी। सोमवार न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने प्रजापति को कोई भी राहत या आदेश देने से इन्कार करते हुए कहाकि उन्होंने पुलिस को सिर्फ मामला दर्ज कर जांच करने के आदेश दिये थे। उन्होंने गिरफ्तारी के आदेश नहीं दिये थे। वारंट निचली अदालत से जारी हुआ है। याचिकाकर्ता को वहीं जाकर राहत की मांग करनी चाहिये।

कोर्ट ने मामले को राजनैतिक रंग दिये जाने पर भी ऐतराज जताया। कोर्ट ने कहा कि आदेश को राजनैतिक रंग देना दुर्भाग्यपूर्ण है। बात ये है कि प्रजापति ने अपनी याचिका में मामले को राजनीति से प्रेरित बताया है। याचिका में शिकायतकर्ता को प्रतिद्वंदी पार्टी से जुड़ा होने और चुनाव के दौरान उन्हें नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाये गए थे। प्रजापति ने अपनी अर्जी में शिकायतकर्ता महिला पर सवाल उठाते हुए कहा था कि जब वह मामला 2013 का बता रही है तो फिर उसने शिकायत 2016 में क्यों की। प्रजापति का कहना था कि इस मामले की जांच पहले ही सीबी-सीआइडी कर चुकी है अब कोर्ट के आदेश के बाद एफआइआर भी दर्ज हो गयी है। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी की आशंका बढ़ गयी है।

कोर्ट इस मामले की सुनवाई पूरी होने तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दे। वे कोर्ट को भरोसा दिलाते हैं कि जांच में पूरा सहयोग करेंगे और जब बुलाया जाएगा तब जांच में हिस्सा लेंगे साथ ही वे मामले को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेगे। न ही कोर्ट से मिली आजादी का दुरुपयोग करेंगे।मालूम हो कि एक महिला ने सुप्रीमकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर गायत्री प्रजापति और छह अन्य पर सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया है साथ ही महिला ने अपनी नाबालिग बेटी से भी अभियुक्तों द्वारा छेड़छाड़ करने के आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि उसने यूपी के डीजीपी से इस मामले की शिकायत की थी लेकिन आज तक उसकी शिकायत पर अभियुक्तों के खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं हुई। इस याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने यूपी पुलिस को मामले में एफआइआर दर्ज करने के आदेश दिये थे।

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