एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस बताती है यूटेराइन कैंसर का राज, शोध में हुआ खुलासा Lucknow News

लखनऊ के क्‍वीनमेरी अस्‍पताल की प्रोफेसर एवं स्‍त्री रोग विशेषज्ञ रेखा सचान की एंडोमेट्रियल वॉल थिकनेस पर रिसर्च।

By Anurag GuptaEdited By: Publish:Thu, 22 Aug 2019 08:30 PM (IST) Updated:Sun, 25 Aug 2019 03:57 PM (IST)
एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस बताती है यूटेराइन कैंसर का राज, शोध में हुआ खुलासा Lucknow News
एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस बताती है यूटेराइन कैंसर का राज, शोध में हुआ खुलासा Lucknow News

लखनऊ [राफिया नाज]। एंडोमेट्रियम यानि गर्भाशय के अंदर की लेयर, गर्भधारण से लेकर पीरयड में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। पीरयड में होने वाले दर्द में भी इसकी मैम्‍ब्रेन में कुछ बदलाव आ जाते हैं। यही नहीं एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस से महिलाओं में होने वाले एंडोमेट्रियल कैंसर या यूट्रस और ओवेरियन कैंसर की संभावना के बारे में भी बताती है। क्‍वीनमेरी अस्‍पताल की प्रोफेसर डॉ रेखा सचान ने वर्ष 2018 में 40 से 50 वर्ष की आयु में होने वाले इररेगुलर पीरयड वाली महिलाओं को लेकर शोध किया। जिसमें एक चौंकाने वाला तथ्‍य निकलकर सामने आया कि एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस यूट्रस में किसी तरह के कैंसर की संभावना के बारे में भी संकेत करते हैं। ये रिसर्च जनरल ऑफ करेंट रिसर्च साइंस मेडिसिन 2019 में छपा है। 

प्रीमीनोपॉजल स्‍टेज में होती है दिक्‍कत  
प्रो सचान ने बताया कि महिलाओं में 40 से 50 वर्ष की आयु प्री मीनोपॉजल स्‍टेज कहलाती है। अक्‍सर इस स्‍टेज में महिलाओं को मीनोपॉज के लक्षण शुरू होने लगते हैं। जिसमें अनियमित महावारी भी एक लक्षण है। जिसकी वजह से महिलाएं अनियमित माहवारी पर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं देती हैं जिसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। महिलाओं को एंडोमेर्टियम कैंसर, एंडोमेट्रियम हाइपर प्‍लेजिया फायब्राइड यूट्रस भी हो सकता है। जिसकी वजह से महिलाओं की जान भी जा सकती है। 

120 महिलाओं पर किया गया शोध 
इररेगुलर ब्‍लीडिंग से पीडि़त 40 से 50 वर्ष के बीच की 120 महिलाओं पर यह शोध किया गया। एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस को देखने के लिए महिलाओं का टीवीएस (ट्रांस वेजाइनल सोनोग्राफी) कराई गई। वहीं एंडोमेट्रियम के टुकड़े की बायोप्‍सी भी कराई गई। जिससे कैंसर के खतरे को भी देखा जा सके। 

75 फीसद में निकली ऑव्‍यूलेटरी डिस्‍आर्डर 
120 महिलाओं में से 75 फीसद में अंडाशय में गड़बड़ी निकली। जिसे ऑव्‍यूलेट्री डिस्‍आर्डर कहते हैं। नौ महिलाओं में कॉम्‍प्‍लेक्‍स एंडोमेट्रियल हाइपरप्‍लेजिया विद एटीपिया निकला जो आगे जाकर कैंसर बन सकता है। वहीं तीन महिलाओं में एंडोमेट्रियल हाइपरप्‍लेजिया विदआउट एटीपिया निकला यानि इन महिलाओं में एंडोमेट्रियम कैंसर का खतरा कॉम्‍प्‍लेक्‍स के मुकाबले कम था। 

एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस का कैंसर से संबंध 
जिन नौ महिलाओं में एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस 20 मिमी से ज्‍यादा थी। उन महिलाओं की हिस्‍टोपैथोलॉजी रिपोर्ट में एंडोमेट्रियम कैंसर यानि कॉम्‍प्‍लेक्‍स एंडोमेट्रियल हाइपरप्‍लेजिया विद एटीपिया निकला। इनमें यूटेराइन कैंसर की आशंका ज्‍यादा थी। वहीं दो महिलाएं जिनकी एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस 16 से 20 मिमी के बीच थी उन्‍हें कैंसर होने का कम खतरा निकला। इन महिलाओं में सिंपल हाइपर प्लेजिया विद एटिपिया था। 

11 से 15 मिमी की थिकनेस में नहीं होता है खतरा 
प्रो सचान ने बताया कि रिसर्च में परिणाम निकला कि 11 से 15 मिमी तक एंडोमेट्रियम की थिकनेस में महिलाओं को किसी तरह की हिस्‍टोपैथोलॉजी नहीं होती है। उन्‍हें कैंसर का खतरा नहीं रहता है। 16 मिमी से ज्‍यादा थिकनेस होने पर आगे चलकर महिलाएं यूटेराइन कैंसर की आशंका हो सकती है।


इन्‍हें होता है हाईरिस्‍क 
जो महिलाएं मोटी होती है, जिनके बच्‍चे नहीं होते हैं, डायबिटिक, गलत डाइट हैबिट जंक फूड आदि , जिनकी फैमिली हिस्‍ट्री होती है। उन्‍हें एंडोमेट्रियल कैंसर का खतरा ज्‍यादा होता है। 

क्‍या है इलाज 
40 या 50 वर्ष की आयु में अनियमित माहवारी होतो स्‍त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। ऐसी महिलाओं की टीवीएस जांच कराई जाती है जिसमें एंडोमेट्रियम वॉल की थिकनेस पता चलती है। अगर थिकनेस 16 मिमी से ज्‍यादा है तो ऐसी महिलाओं को कैंसर का रिस्‍क हो सकता है। इन महिलाओं को हर छह माह में जांच कराई जाती है। 20 मिमी से ज्‍यादा थिकनेस होने पर यूटेराइन कैंसर की संभावना और ज्‍यादा हो जाती है। ऐसे में सर्जिकल ट्रीटमेंट किया जाता है। 

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