Anamika Shukla Case : यूपी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की जांच में 182 संदिग्ध मामले उजागर

Anamika Shukla Case यूपी में अनामिका शुक्ला प्रकरण के सामने आने के बाद केजीबीवी में शुरू हुई शिक्षिकाओं के अभिलेखों की जांच में अब तक 182 संदिग्ध मामले सामने आए हैं।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 11:53 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 11:54 AM (IST)
Anamika Shukla Case : यूपी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की जांच में 182 संदिग्ध मामले उजागर
Anamika Shukla Case : यूपी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की जांच में 182 संदिग्ध मामले उजागर

लखनऊ, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में अनामिका शुक्ला प्रकरण के सामने आने के बाद कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) में शुरू हुई शिक्षिकाओं के अभिलेखों और पहचान पत्रों की जांच में अब तक 182 संदिग्ध मामले सामने आए हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने इन मामलों की जांच 15 जुलाई से पहले कराने का निर्देश जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिया है। जांच में अनियमितता पाए जाने पर एफआइआर दर्ज करा के संविदा समाप्त करने और वेतन वसूली की कार्रवाई को कहा गया है।

अनामिका शुक्ला के शैक्षिक अभिलेखों के आधार पर प्रदेश के कई जिलों में फर्जी और कूटरचित अभिलेखों के आधार पर केजीबीवी में शिक्षिकाओं की नियुक्ति का मामला उजागर हुआ था। इसके बाद शासन ने प्रदेश के सभी केजीबीवी में शिक्षिकाओं के शैक्षिक अभिलेखों और पहचान पत्रों की जांच कराने का आदेश दिया था। अब तक प्रदेश के 746 केजीबीवी से 5486 शिक्षिकाओं का विवरण प्राप्त हो चुका है। इनमें से 5380 शिक्षिकाओं के मूल प्रमाण पत्र जमा हो चुके हैं।

वहीं 563 शिक्षिकाओं ने हाईस्कूल/इंटरमीडिएट/स्नातक/बीएड के अंकपत्रों की हस्तलिखित प्रति जमा की है। इस मामले में अब तक 22 शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा कर उनकी संविदा समाप्त की जा चुकी है और वेतन वसूली के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा बुलंदशहर में तीन और सीतापुर में एक मामले में एफआइआर दर्ज कराने की प्रक्रिया जारी है।

अब तक जांच में संदिग्ध पाए गए 182 मामले उन शिक्षिकाओं के हैं, जिनके द्वारा नियुक्ति के समय जमा किए गए अंक पत्रों में दर्शाए गए नंबर उनके मूल अभिलेखों से ज्यादा हैं। इनमें कुछ ऐसी शिक्षिकाएं भी है, जो बीएड योग्यताधारी नहीं है फिर भी नियुक्ति पाने में कामयाब रहीं। इनमें वे शिक्षिकाएं भी हैं, जिनके पास शिक्षा विशारद की उपाधि है और जो नियुक्ति के लिए मान्य नहीं है। इसके अलावा कुछ ऐसी भी शिक्षिकाएं हैं, जिन्होंने स्पेशल बीएड किया है। यह कोर्स दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए जरूरी है। कुछ ऐसी शिक्षिकाएं भी हैं जो अपने मूल अभिलेख जमा कराने नहीं आ रही हैं।

देवरिया में 15 फर्जी और 11 संदिग्ध मामले : देवरिया जिले में केजीबीवी की सभी शिक्षिकाओं के अभिलेखों की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें 15 मामले पूरी तरह फर्जी पाए गए हैं। इन मामलों में कूट रचित अभिलेखों के आधार पर नौकरी पाई गई है। इसके अलावा 11 और मामले संदिग्ध पाए गए हैं। इनकी तत्काल जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

एनजीओ और महिला समाख्या संचालित केजीबीवी भी शक के घेरे में : उत्तर प्रदेश में 23 केजीबीवी को एनजीओ संचालित करते हैं। वहीं 35 केजीबीवी का संचालन महिला समाख्या करती है। कुछ जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने यह शिकायत की थी कि यह संस्थाएं शिक्षिकाओं की नियुक्ति के समय के मूल अभिलेख जांच के लिए नहीं उपलब्ध करा रही हैं। महानिदेशक स्कूल शिक्षा ने सभी एनजीओ और महिला समाख्या को भी शिक्षिकाओं के मूल अभिलेख जांच के लिए तत्काल उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

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