दिलीप सिंह, अमेठी। (Amethi Lok Sabha Election 2024) गांधी परिवार का जिस अमेठी से दशकों पुराना नाता है। आज उसी अमेठी में रिश्तों की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है। राहुल-प्रियंका के इकरार व इंकार पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ ही आम जनता की निगाहें भी टिकी हुई हैं। 20 मई को होने वाली वोटिंग के लिए तीन मई तक ही नामांकन पत्र भरे जाने हैं।
अब चुनाव में कम ही समय शेष है। ऐसे में गांधी परिवार की अमेठी-रायबरेली को लेकर चुप्पी अब कांग्रेस की रणनीति पर ही भरी पड़ती दिख रही है। हर बीतते हुए दिन के साथ कांग्रेस की गांव-गांव, घर-घर पहुंचने की कोशिश कमजोर होती दिख रही है।
तीन मई को अमेठी में रोड शो करेगी कांग्रेस
सोनिया गांधी के प्रतिनिधि व कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव किशोरी लाल शर्मा के अमेठी के गौरीगंज स्थित केंद्रीय कार्यालय में आने के बाद पार्टी नेताओं को जोश जरूर कुछ बढ़ा है। आने वाली तीन मई को कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के नामांकन व रोड शो के लिए जिला प्रशासन को अपना आवेदन पत्र सौंपा है।
कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय में नामांकन के रथ को भी सजाया जा रहा है। इतना सब होने के बाद भी अमेठी-रायबरेली सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा। इस पर असमंजस बना हुआ है।
गांधी परिवार का अमेठी में रहा दबदबा
अमेठी में 1977 में संजय गांधी के रूप में परिवार का सीधे चुनावी राजनीति में प्रवेश हुआ।
उसके बाद एक के बाद एक गांधी परिवार के राजीव गांधी, मेनका गांधी, सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने यहां से चुनावी रणभूमि में उतर कर कांग्रेस को जीत दिलाई पर अब से पहले 1981 में संजय गांधी के विमान हादसे में निधन के बाद हुए उप चुनाव में ही ऐसा हुआ था।
जब कांग्रेस का प्रत्याशी घोषित होने में इतनी देर हुई हो।
1981 के उप चुनाव में राजीव गांधी ने जिस दिन अपना नामांकन पत्र अमेठी सीट से पहली बार भरा था। उसी दिन उनके नाम की घोषणा प्रत्याशी के रूप में हुई थी। आम चुनाव 2024 से पहले राहुल गांधी अमेठी सीट से तीन बार चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं।
2019 में राहुल को मिली थी हार
आम चुनाव 2019 में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को 55,120 मतों से हराया था, लेकिन उनके नाम की घोषणा में कभी भी इतनी देरी नहीं हुई थी। जबकि अमेठी में राहुल गांधी से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा के सक्रिय राजनीति में आने की मांग उठती रही है। सक्रिय राजनीति में राहुल गांधी के आने के दो साल पहले प्रियंका ही अपने भाई राहुल गांधी काे लंबे समय बाद 2002 में साथ लेकर यहां आई थी।
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