जल निगम की खुली पोल, ट्रीटमेंट प्लांट से ही मैली हो रहीं गंगा

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जांच टीम ने पकड़ा प्लांट से पतित पावनी में बहता सीवरेज अन्य कई खामियां भी मिलीं।

By AbhishekEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 11:16 PM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 11:16 PM (IST)
जल निगम की खुली पोल, ट्रीटमेंट प्लांट से ही मैली हो रहीं गंगा
जल निगम की खुली पोल, ट्रीटमेंट प्लांट से ही मैली हो रहीं गंगा

कानपुर, जेएनएन। जल निगम की कारगुजारी एक बार फिर बेनकाब हो गई। गंगा में प्रदूषण के लिए सिर्फ टेनरियों पर आरोप थोपने वाला जल निगम खुद ही गंगा में सीवरेज बहा रहा है। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के निरीक्षण में सामने आया कि वाजिदपुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की एरिएशन लाइन लीकेज है, जिससे सीधे गंगा में धड़ल्ले से सीवरेज जा रहा है।

 इसके अलावा भी प्लांट में तमाम खामियां पाई गईं। उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक शानू सोनकर, पीके राय और आशुतोष पांडेय टीम के साथ सोमवार को जाजमऊ के वाजिदपुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचे। यहां एरिएशन लाइन लीकेज होने से पूरे प्लांट में सीवरेज बह रहा था। यह बहकर एयरफोर्स नाले के जरिए सीधे गंगा में जा रहा था। पूछताछ में पता चला कि मरम्मत के अभाव में लीकेज हुआ है। टीम ने लीकेज से बह रहे सीवरेज, टेनरी चैनल और घरेलू चैनल से आने वाले सीवरेज के नमूने भरे।

इसके बाद टीम सीवरेज नहर पर गई। यहां देखा तो ङ्क्षसचाई के लिए आने वाला पानी केमिकल युक्त था। रंग बिल्कुल काला था और बहुत सारा झाग भी था। इस पर यूपीपीसीबी की टीम ने इस शोधित पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए यहां से भी नमूना लिया। गौर करने वाली बात है कि जल निगम के आला अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं और एरिएशन लाइन की मरम्मत न हो पाने से करोड़ों लीटर सीवरेज गंगा में जहर घोल रहा है।

प्लांट में मोटर मिली बंद

यह आरोप समय-समय पर लगते रहे हैं कि जल निगम के प्लांट की मोटरें खराब रहती हैं और सीवरेज बाइपास कर गंगा में बहाया जाता है। पिछले दिनों 'दैनिक जागरण' ने भी इस बात को उजागर किया कि कैसे नाला टैपिंग के खोखले दावों के बीच जल निगम नाले में सीवरेज बहा रहा है, जिससे टैपिंग के लिए लगाई गईं बोरियां भी हट गई हैं। इसका दोष अफसर ग्रामीणों पर मढ़ रहे हैं जबकि यूपीपीसीबी को निरीक्षण में फाइनल सीवरेज ट्रीटमेंट की एक मोटर बंद मिली। इससे सीवरेज सही से शोधित नहीं हो पा रहा था। वहां से आगे आने वाला सीवरेज का रंग ही बता रहा था कि इसमें कितना केमिकल है। यह मोटर कई दिनों से खराब है। यहां से भी टीम ने नमूने भरे हैं। 

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