कानपुर आइआइटी में टेककृति का रंगारंग आगाज

जागरण संवाददाता, कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में गुरुवार से तकनीकी और उ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Mar 2018 10:15 AM (IST) Updated:Fri, 16 Mar 2018 10:15 AM (IST)
कानपुर आइआइटी में टेककृति का रंगारंग आगाज
कानपुर आइआइटी में टेककृति का रंगारंग आगाज

जागरण संवाददाता, कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) में गुरुवार से तकनीकी और उद्यमिता का उत्सव टेककृति 2018 का आगाज हो गया। फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल और लेखक व अभिनेता अतुल तिवारी ने ऑडिटोरियम में दीप प्रज्ज्वलन कर उद्घाटन किया। देश और विदेशों के संस्थानों से आए छात्र छात्राओं ने रोबोगेम और अन्य तकनीकी स्पर्धाओं के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। संस्थान को रंगबिरंगी लाइटों व बैनर पोस्टर से सजाया गया। पहले दिन 2200 से अधिक छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया। श्याम बेनेगल के संग उनकी पत्नी मीरा बेनेगल भी आई थीं। कार्यवाहक निदेशक मणींद्र अग्रवाल, फैकल्टी और छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

भारतीय सिनेमा ने लोगों को जोड़ा

फिल्म दुनिया की पहली कला है, जो तकनीक में तब्दील हुई है। भारतीय सिनेमा ने लोगों को जोड़ा है। ये कहना है पद्मश्री और पद्म विभूषण से सम्मानित श्याम बेनेगल का। उन्होंने बताया कि 1930 में 'आलम आरा' फिल्म आई, जिसमें 30 गाने थे। उस समय के ठुमरी, दादरी, स्ट्रीट प्ले करने वाले कलाकारों और संगीतकारों को मौका मिला। उन्होंने बताया कि 'मंथन' फिल्म का आइडिया उनके मित्र ने दिया था। वह उस समय गुजरात के गांवों से जा रहे थे। उन्होंने काफी संख्या में भैंसों को देखा और दूध पर फिल्म प्लान करने को कहा। उन्होंने कहा, केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को फिल्म में काट छांट करने का अधिकार नहीं होना चाहिए, यह काम निर्देशक का होता है। फिल्म की उसकी पटकथा के आधार पर ग्रेडिंग की जा सकती है। श्याम बेनेगल ने बताया कि उनकी दो फिल्में जल्द ही आएंगी। यह भी मानवीय मूल्यों पर आधारित होंगी। शबाना आजमी की अभिनीत 'अंकुर' और स्मिता पाटिल की 'भूमिका' जैसी फिल्म बनाना चाहते हैं।

टेककृति में छुपा है पूरा संदेश

थ्री ईडियट, विश्व रूपम, रज्जो, आक्रोश, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, हजार चौरासी की मां जैसे फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखने वाले अतुल तिवारी ने टेककृति की सराहना की है। उन्होंने बताया कि टेक का मतलब तकनीक और कृति का मतलब रचनात्मक कार्य करने से लेकर है। आइआइटी ने छात्रों को बेहतर प्लेटफार्म दिया है। उन्हें मनुष्य के लिए बेहतर कार्य करना चाहिए। ऐसा आविष्कार करें, जिसका अधिक से अधिक लोगों को फायदा मिले। उन्होंने बताया कि भारतीय सिनेमा में आज भी बेहतर लेखक हैं। पैडमैन, सुल्तान, टायलेट एक प्रेम कथा जैसी फिल्में बन रही हैं।

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