अब लिक्विड नहीं जेल प्रोपेलेंट से उड़ेंगे स्पेस क्राफ्ट, प्रदूषण कम करने में होगा मददगार
आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग की खोज, पर्यावरण मित्र प्रोपेलेंट से बढ़ेगी इंजन की क्षमता।
कानपुर (विक्सन सिक्रोडिय़ा)। आने वाले समय में स्पेस क्राफ्ट लिक्विड नहीं बल्कि जेल प्रोपेलेंट (रॉकेट का ईंधन) से उड़ेगा। आइआइटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने ऐसा ग्रीन प्रोपेलेंट तैयार किया है जो क्राफ्ट की गति बढ़ाने के साथ प्रदूषण कम करने में मददगार होगा और सुरक्षा के लिहाज से भी बेहतर होगा। यह ईको फ्रेंडली प्रोपेलेंट वरिष्ठ प्रोफेसर डीपी मिश्रा ने केरोसिन व जेलिंग एजेंट को मिलाकर तैयार किया है। वर्तमान में लिक्विड हाइड्रोजन, लिक्विड ऑक्सीजन, हाइड्रोजन पैरॉक्साइड, नाइट्रोजन ट्रेटा ऑक्साइड व हाइड्राजॉइन प्रोपेलेंट से स्पेस क्राफ्ट उड़ाए जाते हैं।
इस जेल प्रोपेलेंट को बनाने में उन्हें एक वर्ष का समय लगा। लंबे शोध कार्य व परिणाम के बाद उसका परीक्षण आइआइटी की आधुनिक प्रयोगशाला में किया गया। प्रयोग सफल होने के बाद अब इसे पेटेंट करा लिया गया है। इस पर्यावरण मित्र जेल प्रोपेलेंट की विशेषता यह है कि धातु के कण के साथ मिलकर यह विमान को डेढ़ से दोगुना अधिक रफ्तार से उड़ा सकते हैं। इससे इंजन की क्षमता व विशिष्ट आवेग बढ़ जाता है।
लीक होने का खतरा नहीं, क्राफ्ट और इंजन रहेंगे महफूज
जेल प्रोपेलेंट बनाने वाले प्रो.मिश्रा ने बताया कि लिक्विड प्रोपेलेंट के लीक होने का खतरा बना रहता है। इससे क्राफ्ट की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है क्योंकि इससे दबाव इतना ज्यादा हो जाता है कि इंजन फटने का डर रहता है। इसके अलावा लिक्विड ईंधन के तेजी से हिलने के कारण यान की दिशा बदलने का भी अंदेशा रहता है, जिससे लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता है। जबकि जेल प्रोपेलेंट इंजन का तापमान कम रखने में सहायक होता है। स्थिर होने के कारण यह लीक भी नहीं होता और निर्धारित दिशा तक ले जाने में कारगर है।
कम जगह लेकर ज्यादा ऊर्जा देता
अभी बड़े-बड़े स्पेस क्राफ्ट बनाए जाते हैं जिसमें लिक्विड प्रोपेलेंट की खपत अधिक होती है। यह प्रोपेलेंट महंगे होते हैं। अधिक मात्रा में इनका इस्तेमाल होने से खर्च और बढ़ जाता है। जेल प्रोपेलेंट इसकी तुलना में सस्ता होने के साथ कम जगह लेता है जिससे छोटे यान के लिए भी यह मुफीद होगा। भविष्य में छोटे-छोटे स्पेस क्राफ्ट इससे उड़ाए जा सकेंगे।
इस जेल प्रोपेलेंट को बनाने में उन्हें एक वर्ष का समय लगा। लंबे शोध कार्य व परिणाम के बाद उसका परीक्षण आइआइटी की आधुनिक प्रयोगशाला में किया गया। प्रयोग सफल होने के बाद अब इसे पेटेंट करा लिया गया है। इस पर्यावरण मित्र जेल प्रोपेलेंट की विशेषता यह है कि धातु के कण के साथ मिलकर यह विमान को डेढ़ से दोगुना अधिक रफ्तार से उड़ा सकते हैं। इससे इंजन की क्षमता व विशिष्ट आवेग बढ़ जाता है।
लीक होने का खतरा नहीं, क्राफ्ट और इंजन रहेंगे महफूज
जेल प्रोपेलेंट बनाने वाले प्रो.मिश्रा ने बताया कि लिक्विड प्रोपेलेंट के लीक होने का खतरा बना रहता है। इससे क्राफ्ट की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है क्योंकि इससे दबाव इतना ज्यादा हो जाता है कि इंजन फटने का डर रहता है। इसके अलावा लिक्विड ईंधन के तेजी से हिलने के कारण यान की दिशा बदलने का भी अंदेशा रहता है, जिससे लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाता है। जबकि जेल प्रोपेलेंट इंजन का तापमान कम रखने में सहायक होता है। स्थिर होने के कारण यह लीक भी नहीं होता और निर्धारित दिशा तक ले जाने में कारगर है।
कम जगह लेकर ज्यादा ऊर्जा देता
अभी बड़े-बड़े स्पेस क्राफ्ट बनाए जाते हैं जिसमें लिक्विड प्रोपेलेंट की खपत अधिक होती है। यह प्रोपेलेंट महंगे होते हैं। अधिक मात्रा में इनका इस्तेमाल होने से खर्च और बढ़ जाता है। जेल प्रोपेलेंट इसकी तुलना में सस्ता होने के साथ कम जगह लेता है जिससे छोटे यान के लिए भी यह मुफीद होगा। भविष्य में छोटे-छोटे स्पेस क्राफ्ट इससे उड़ाए जा सकेंगे।