वाह री व्यवस्था! मौत का राजफाश करने वालों को अब तक मिल रहा 100 रुपये उधार मेहनताना
प्रति शव विच्छेदन पर दी जानी थी धनराशि सीएमओ के अधीन चिकित्सक कर रहे ड्यूूटी सीएमओ के अधीन चिकित्सकों को वर्ष 2013 से भुगतान नहीं मिल सका अभी तक पोस्टमार्टम हाउस में चिकित्सकों के पदों पर नहीं हुई नवीन तैनाती
फर्रुखाबाद, जेएनएन। महंगाई के इस दौर में भले ही कई लोगों के दिन बहुर गए हों, लेकिन मरचुरी हाउस में पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। जहां एक ओर निजी अस्पताल इलाज के नाम पर लोगों से लाखों रुपये लेते हैं वहीं इन डॉक्टरों के लिए इस दौर में अपना घर चलाना भी मुश्किल हो जाता है।
दरअसल पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर पहले की तरह आज भी मात्र 100 रुपये में मौत का राजफाश कर रहे हैं और वह भी उधार। सीएमओ के अधीन चिकित्सकों को वर्ष 2013 से भुगतान नहीं मिल सका है।
जिला मुख्यालय पर बने शव विच्छेन गृह के लिए अलग से दो चिकित्सक और दो फार्मासिस्ट के पद सृजित किए गए थे, लेकिन अभी तक चिकित्सक के पदों पर नवीन तैनाती नहीं की जा सकी है।
2013 में भत्ता देने के दिए गए थे आदेश
शासन ने शव विच्छेदन करने के लिए वर्ष 2013 में भत्ता देने के आदेश दिए थे, लेकिन विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही के चलते चिकित्सकों को भत्ता नहीं मिल सका है।
भत्ते की राह देख रहे डॉक्टर
शवों के पोस्टमार्टम करने के लिए सीएमओ के अधीन और जिला लोहिया अस्पताल के चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई जाती है। इसके सापेक्ष प्रति शव के हिसाब से चिकित्सकों को 100 रुपये और फार्मासिस्ट को 40 रुपये देने का प्रविधान है, लेकिन सीएमओ के अधीन चिकित्सकों को इसका भत्ता अभी तक नहीं मिल सका है। हालांकि लोहिया अस्पताल के चिकित्सक और पुलिस लाइन अस्पताल के फार्मासिस्टों को दिया जा रहा है।
29 चिकित्सक कर रहे मौत का राजफाश
शव विच्छेदन करने के लिए 29 चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। इनमें मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन 25 और जिला अस्पताल के चार चिकित्सक शामिल हैं।
इनका ये है कहना
चिकित्सकों को पोस्टमार्टम भत्ता न मिलने की किसी ने शिकायत भी नहीं की। पूरे प्रकरण की जानकारी कर पोस्टमार्टम करने वाले चिकित्सकों को इस भत्ते का भुगतान कराया जाएगा। - डॉ. वंदना सिंह यादव, मुख्य चिकित्साधिकारी।