सीएसए कृषि विश्वविद्यालय की हुक्का तंबाकू की नई प्रजाति से बनेंगी दवाएं

निकोटीन ज्यादा होने से एंटीफंगल व एंटीबैक्टीरियल औषधि बनाने में होगा इस्तेमाल। यह खोज फसलों में लगने वाले कीड़ों से बचाव में भी कारगर साबित होगी।

By AbhishekEdited By: Publish:Wed, 31 Oct 2018 09:16 PM (IST) Updated:Thu, 01 Nov 2018 08:30 AM (IST)
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय की हुक्का तंबाकू की नई प्रजाति से बनेंगी दवाएं
सीएसए कृषि विश्वविद्यालय की हुक्का तंबाकू की नई प्रजाति से बनेंगी दवाएं

कानपुर (जागरण संवाददाता)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) ने हुक्का तंबाकू की एक नई प्रजाति इजाद की है। एआरआर-27 'रविÓ नाम की इस तंबाकू में निकोटीन की मात्रा ज्यादा होने से इसका इस्तेमाल एंटीफंगल व एंटीबैक्टीरियल दवाएं बनाने में किया जा सकता है। औषधीय गुणों के साथ ये फसलों में लगने वाले कीड़ों से निजात दिलाने में भी कारगर है। केंद्रीय तंबाकू शोध संस्थान (सीटीआरआइ) राजामुंदरी आंध्र प्रदेश के साथ मिलकर तंबाकू शोध जनक डॉ.अरविंद श्रीवास्तव द्वारा खोजी गई इस प्रजाति के अब तक के परीक्षण में काफी सकारात्मक परिणाम आए हैं।

34 क्विंटल उपज देती है यह प्रजाति

आम तंबाकू की अपेक्षा दस क्विंटल अधिक पैदावार देने वाली इस तंबाकू को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की अखिल भारतीय प्रजाति परीक्षण में सर्वोत्तम पाया गया है। इस तंबाकू को अखिल भारतीय दसवीं तंबाकू शोध कार्यशाला में भी शामिल किया गया है। निदेशक शोध प्रो. एचजी प्रकाश ने बताया कि हुक्का तंबाकू की रवि प्रजाति को सामने लाने के लिए एक साल से अधिक समय तक शोध कार्य चला।

चौड़ी पत्ती वाली यह तंबाकू एक हेक्टेयर में 34 क्विंटल उपज देती है जबकि पुरानी प्रजातियों की औसतन 25 क्विंटल तक पैदावार है। 115 से 120 दिन में पकने वाली तंबाकू की फसल में 4.0 से 4.55 फीसद तक निकोटीन होता है। निकोटीन की मात्रा ज्यादा होने से इसके तत्वों से दवाएं तैयार की जा सकती हैं। इसमें खास बात यह है कि खेतों में पक रही दूसरी फसलों में इसका छिड़काव करके कीट-पतंगों से बचाव भी किया जा सकता है।

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