UPSIDA Corruption Case: अरुण के पास मिले चार मोबाइल फोन, कॉल डिटेल निकलवाएगी पुलिस

Arun Mishra Kanpur Corruption Case सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा करके 2.11 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक की गिरफ्तारी के बाद भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। पुलिस सभी मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल निकलवाएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 28 Oct 2020 08:36 AM (IST) Updated:Wed, 28 Oct 2020 08:36 AM (IST)
UPSIDA Corruption Case: अरुण के पास मिले चार मोबाइल फोन, कॉल डिटेल निकलवाएगी पुलिस
यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक चकेरी थाने में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तार किए गए थे।

कानपुर, जेएनएन। सड़क निर्माण में फर्जीवाड़ा करके 2.11 करोड़ रुपये का घोटाला करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा को लखनऊ स्थित भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। गिरफ्तारी के वक्त यूपीसीडा के प्रधान महाप्रबंधक अरुण मिश्रा के पास चार महंगे मोबाइल फोन और करीब 2100 रुपये मिले हैं। पुलिस उन सभी मोबाइल नंबरों की कॉल डिटेल भी निकलवाएगी। अधिकारियों का कहना है कि इससे पता लगेगा कि उसके संपर्क में कौन-कौन लोग थे। इसकी रिपोर्ट भी शासन को दी जाएगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक अरुण मिश्रा को गिरफ्तारी का अहसास पहले ही हो गया था। इसके चलते आशंका है कि उसने अपनी तमाम काली कमाई ठिकाने लगा दी होगी।

यह था मामला

वर्ष 2009 में प्रयागराज नेशनल हाईवे से पाली गांव होकर चकेरी औद्योगिक क्षेत्र में जाने वाली तीन किमी सड़क का निर्माण यूपीसीडा ने किया था। इसके आगे की 1940 मीटर सड़क पीडब्ल्यूडी ने बनाई थी। यूपीसीडा अफसरों ने पीडब्ल्यूडी की सड़क को भी अपने हिस्से के निर्माण में दिखा दिया था। यूपीसीडा के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता अजीत सिंह, सहायक अभियंता नागेंद्र सिंह और अवर अभियंता एसके वर्मा ने मेसर्स काॢतक इंटरप्राइजेज फर्म द्वारा बनवाने की बात कहकर 12 जनवरी 2009 को 2.11 करोड़ रुपये पास करा लिए थे। यूपीसीडा से दो किस्तों में इस रकम का भुगतान कर दिया गया था।

आठ साल बाद शासन से मिली अनुमति

मामला खुलने पर यूपीसीडा के तत्कालीन प्रबंध निदेशक इफ्तिखारुद्दीन ने वर्ष 2012 में अजीत सिंह, नागेंद्र सिंह और एसके वर्मा और फर्म काॢतक इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर अजीत सिंह के खिलाफ चकेरी थाने में एफआइआर दर्ज कराई थी। जांच में अरुण मिश्रा भी दोषी मिले थे। आठ साल बाद शासन की अनुमति मिलते ही सीओ कैंट सत्यजीत गुप्ता ने अरुण, नागेंद्र और एसके वर्मा के खिलाफ चार्जशीट लगाने की कार्यवाही शुरू कर दी और अरुण मिश्रा को गिरफ्तार कर लिया। मामले में आरोपित तत्कालीन अधिशाषी अभियंता अजीत सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अभी कई और लोगों की गिरफ्तारी होगी।

सीओ के पास जाकर की थी कार्रवाई रोकने की मांग

करीब एक माह पूर्व वह कैंट सीओ से मिलने उनके दफ्तर पर भी पहुंचा था और खुद को बेकसूर बताते हुए कार्रवाई रोकने की मांग की थी। हालांकि तब पुलिस को शासन से आरोपित के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली थी। तीन दिन पहले पुलिस को जैसे ही अभियोजन स्वीकृति मिली, पुलिस ने उसके लखनऊ स्थित आवास पर दबिश दी। तब वह फरार हो गया था। मंगलवार सुबह चकेरी के रामादेवी के पास से उसे पकड़ा गया।

पीडब्ल्यूडी से नहीं ली थी एनओसी

सीओ ने बताया कि जांच में सामने आया कि चकेरी से पाली मार्ग के जिस दो हिस्से को यूपीसीडा ने बनाने का दावा किया था। वह लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अंतर्गत आती है। इस सड़क को बनाने के लिए पीडब्ल्यूडी से एनओसी ही नहीं ली गई थी जबकि इससे पूर्व यूपीसीडा ने तीन किमी की सड़क बनवाई थी, उसके लिए पीडब्ल्यूडी से एनओसी ली गई थी। जांच में पता लगा कि टेंडर और बजट आवंटन आदि की पूरी प्रक्रिया अरुण मिश्रा की ही देखरेख में हुई थी। इसीलिए उसे इस घोटाले का जिम्मेदार माना गया और मुकदमे में नाम बढ़ाया गया था।

खातों की होगी पड़ताल

सड़क घोटाले में अरुण मिश्रा को क्या फायदा हुआ? यह जानने के लिए पुलिस अरुण के बैंक खातों का भी ब्योरा निकलवाएगी। इससे पता लगेगा कि उस दौरान ठेका कंपनी के खाते से कितना पैसा उसे मिला। पुलिस को अब तक अरुण के चार खातों का पता लगा है। यही नहीं, पुलिस उनके करीबियों के भी बैंक खातों का ब्योरा निकलवाएगी।

अब निलंबन की तैयारी

अगर कोई लोकसेवक 48 घंटे या उससे अधिक समय तक जेल में रहता है तो फिर उसे निलंबित कर दिया जाता है। अब चूंकि अरुण को 14 दिन के दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया है ऐसे में प्रबंधन 48 घंटे पूरे होने के बाद निलंबित करेगा। इसकी सूचना चकेरी पुलिस को यूपीसीडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मयूर महेश्वरी को देनी होगी।

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