गोरखपुर मेडिकल कालेज में भर्ती कोरोना मरीजों के बारे में अब भी नहीं मिल पा रही कोई जानकारी Gorakhpur News

तीमारदार अपने मरीजों की हाल जानने के लिए कोरोना वार्ड के सामने सड़क के किनारे रह रहे हैं। तेज धूप के लिए प्रशासन ने टेंट तो डलवा दिया है लेकिन उनके मरीजों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है।

By Satish Chand ShuklaEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 02:29 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 02:29 PM (IST)
गोरखपुर मेडिकल कालेज में भर्ती कोरोना मरीजों के बारे में अब भी नहीं मिल पा रही कोई जानकारी Gorakhpur News
बीआरडी परिसर में टेंट में रह रहे मरीजों के स्‍वजन, जेएनएन।

गोरखपुर, जेएनएन। बीआरडी मेडिकल कालेज में भर्ती मरीजों के स्वजन को बारिश व धूप सहने के बाद भी मरीजों का सही हाल नहीं मिल पा रहा है। जबकि मेडिकल कालेज पर अब मरीजों का भार कम हो गया है। 500 बेड के वार्ड में केवल 176 मरीज भर्ती हैं। बावजूद इसके किसी के पास मैसेज आ भी रहे हैं या वे काउंटर पर जाकर पूछ रहे हैं तो केवल मरीज का आक्सीजन लेवल बताया जा रहा है। उसकी तबीयत में कितना सुधार हुआ। चेस्ट एक्सरे की क्या रिपोर्ट है। कौन-कौन जांच हुई है। इस बारे में कुछ भी नहीं बताया जा रहा है। वार्ड में कैमरा तो लगा दिया गया है, लेकिन टीबी बाहर नहीं लगाई गई है। इसलिए स्वजन अपने मरीज को देख नहीं पा रहे हैं।

बारिश व धूप में टेंट लगाकर हाल जानने को तरस रहे परिजन

 तीमारदार अपने मरीजों की हाल जानने के लिए कोरोना वार्ड के सामने सड़क के किनारे रह रहे हैं। तेज धूप के लिए प्रशासन ने टेंट तो डलवा दिया है लेकिन उनके बारिश से बचने का कोई उपाय नहीं है। मंगलवार को हुई बारिश ने तीमारदारों की मुश्किलें बारिश ने बढ़ा दी। टेंट के नीचे भी लोग बारिश से भीगते रहे। बिस्तर व अन्य सामान बचाने की कोशिश करते रहे। कुछ स्वजन तो टेंट के नीचे भी छाता लगाकर खड़े थे। कच्चा प्लेटफार्म भी पूरी तहर भीग गया है। वहां सोने की स्थिति नहीं है। अनेक जगहों पर पानी जमा हो गया है।

स्वयंसेवी संस्थाएं कर रहीं मदद

तीमारदारों ने बताया कि यहां की स्वयं सेवी संस्थाएं बहुत अच्छी हैं। वे रोज आती हैं और लोगों को भोजन कराती हैं। कई लोग तो अपना भोजन खुद बनाते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनके पास कोई व्यवस्था नहीं है। संस्थाओं के चलते उन्हें रोज भोजन नसीब हो जाता है।

सतीश ने बना ली अपनी झोपड़ी

देवरिया के सतीश कुमार यादव ने वहां पड़े लोहे के पाइपों व प्लास्टिक के सहारे अपनी झोपड़ी बना ली। आशियाने में पानी न घुसे इसलिए उन्होंने पाइप के सहारे लकड़ी का पटरा डालकर जमीन से थोड़ा ऊपर एक प्लेटफार्म भी बना लिया है।

गोपालगंज के अनूप कुमार शर्मा का कहना है कि मेरी माताजी 25 मई से भर्ती हैं। आज तक मैं उनसे मिल नहीं पाया हूं। बारिश में यहां रहना भी मुश्किल हो गया है। बावजूद हम रुके हैं। लेकिन आक्सीजन लेवल के अलावा मरीज के बारे में कोई जानकारी नहीं दी जा रही है। गुलरिहा के मानवेंद्र प्रजापति का कहना है कि मेरे पिताजी 30 मई से भर्ती हैं। वह स्वयं शौचालय जाने लायक नहीं है। लेकिन कोई अंदर नहीं जाने दे रहा है। मैं पीपीई किट भी ले आया था लेकिन डाक्टरों ने अंदर जाने से मना कर दिया। देवरिया के सतीश कुमार यादव का कहना है कि मेरे पापा 25 मई से यहां भर्ती हैं। कई बार टेंट रात में उड़ गया। बारिश बचने के लिए एक झोपड़ी बना ली है लेकिन मरीज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है कि सुधार हो रहा है या नहीं। भाटपार रानी के अमरेंद्र कुमार ठाकुर का कहना है कि पिताजी को 28 मई को भर्ती कराए हैं। लेकिन तभी से उनके बारे में कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई है। मुझे उनके पास जाने की इजाजत मिलनी चाहिए। बारिश व धूप हम सब सह लेंगे।

कर्मचारियों को दिया गया है निर्देश

बीआडी मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. गणेश कुमार का कहना है कि पेशेंट इन्फार्मेशन सिस्टम लागू कर दिया गया है। ज्योंहि कंप्यूटर में मरीज का कोई डाटा फीड किया जाता है, आटोमेटिक उसके मोबाइल पर मैसेज चला जाता है। इसके अलावा कर्मचारियों को मरीज के बारे में पूछने पर पूरी जानकारी देने का निर्देश दिया गया है। यदि इसमें लापरवाही बरती जा रही है तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सीसी कैमरा स्टाफ के लिए लगाया गया है ताकि वे मरीजों की निगरानी कर सकें।

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