पशुओं की धमाचौकड़ी से दिखावा बने गोआश्रय स्थल

बस्ती जिले के पांच गोआश्रय स्थलों पर लाखों रुपये खर्च हुए इसके बावजूद यह बंद हो गए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Aug 2020 07:02 PM (IST) Updated:Tue, 25 Aug 2020 07:02 PM (IST)
पशुओं की धमाचौकड़ी से दिखावा बने गोआश्रय स्थल
पशुओं की धमाचौकड़ी से दिखावा बने गोआश्रय स्थल

बस्ती, जेएनएन : सरकार ने मुसीबत का पर्याय बने बेसहारा पशुओं के आतंक से निजात दिलाने के लिए ग्राम पंचायतों में अस्थाई गोआश्रय स्थल की स्थापना कराई थी। इसके बाद भी बेसहारा खेतों व सड़कों पर धमाचौकड़ी करते नजर आ रहे हैं। यह राहगीरों के लिए जानलेवा भी साबित हो रहे हैं।

बहादुरपुर विकास क्षेत्र में कुसौरी, रामपुर, देवापार, नौली, सेमरा गलवा, लोनहा व कनैला समेत सात जगहों पर गोआश्रय स्थल बनवाया गया था। विभागीय उदासीनता के चलते सेमरा, गलवा व नौली का गोआश्रय स्थल अभी तक संचालित नहीं हो सके। देवापार, कुसौरी व रामपुर के गो आश्रय स्थल बंद कर दिए गए। बहादुरपुर में लोनहा और कनैला में गो आश्रय स्थल का संचालन हो रहा है। वहां भी महज दिखाने के लिए गोवंश मौजूद हैं। किसान कामगार मोर्चा पूर्वी उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष चौधरी प्रदीप किसान ने कहा कि शुरुआती दौर में लगा कि इस योजना से अब बेसहारा पशुओं से किसानों को निजात मिलेगी। लेकिन पूरी रात किसान जान जोखिम में डालकर फसलों की रखवाली कर रहें हैं। अधिवक्ता आलोक मिश्र ने कहा कि गोआश्रय स्थलों के संचालन के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। समाजसेवी राजन पांडेय ने कहा कि सप्ताह भर में कलवारी व कुसौरा बाजार में छुट्टा पशुओं से टकराकर पांच लोग घायल हो चुकें हैं। भाजपा नेता प्रेमप्रकाश चौधरी ने कहा कि अस्थायी गो आश्रय स्थल के संचालन में लापरवाही बरती जा रही है।

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डा. अश्वनी कुमार तिवारी ने बताया कि कुछ गोआश्रय स्थलों में तार का बाड़ न लगे होने के कारण गोवंश भाग जाते थे, ऐसे में उस आश्रय स्थल के गोवंश को दूसरे गो आश्रय स्थल पर भेज दिया गया। आश्रय स्थलों पर गोवंश कम होने के मामले की जांच कराई जाएगी।

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