सियासत की बंदिश में कुम्हला रहा फूल

गोंडा कोरोना संक्रमण के कारण सियासत में बंदिश का असर सिर्फ चुनाव प्रचार ही नहीं बल्कि कारोबार भी पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 11:17 PM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 11:17 PM (IST)
सियासत की बंदिश में कुम्हला रहा फूल
सियासत की बंदिश में कुम्हला रहा फूल

रमन मिश्र, गोंडा : कोरोना संक्रमण के कारण सियासत में बंदिश का असर सिर्फ चुनाव प्रचार पर ही नहीं पड़ा है। यहां फूल के कारोबार भी प्रभावित है। चुनावी मौसम में स्वागत, रैली व अन्य कार्यक्रमों में फूल की डिमांड सबसे अधिक रहती थी। कभी-कभी व्यापारियों को दूसरे जिले से भी फूल मंगवाने पड़ते थे, लेकिन इस बार हालात बदले हुए हैं। किसानों के खेत में लगे फूल को सियासी भाव नहीं मिल पा रहा है।

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500 किसान करते हैं फूल की खेती

- जिले में फूल की खेती का दायरा बीते दिनों बढ़ा है। अयोध्या में पर्यटन स्थल के विकास के साथ ही मंदिर निर्माण शुरू होने से कारोबार को उड़ान मिली थी। कोरोना संक्रमण के कारण सभी कारोबार पर असर पड़ा था। इस बार चुनाव में फूल के कारोबार से किसानों को फायदा मिलने की उम्मीद थी। भारत निर्वाचन आयोग के 31 जनवरी तक चुनावी रैली, रोड शो, जनसभा पर रोक लगा रखी है। ऐसे में फूल की डिमांड नहीं बढ़ सकी है। मंच सजाने में ही काफी फूल लग जाते हैं। टूट रहीं उम्मीदें - किसान राम जियावन का कहना है उन्होंने एक एकड़ में गेंदा की खेती की है। चुनाव में अच्छा रेट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन सब चौपट हो गया। गेंदा का फूल 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। जबकि, चुनाव में इसका रेट 120-150 रुपये प्रति किलो हो जाता है। व्यवसायी विष्णु सैनी का कहना है कि सहालग के कारण थोड़ी स्थिति सुधरी है। चुनाव में मंच सजाने के लिए बड़े आर्डर मिलते थे, जो इस बार अभी नहीं मिल रहे हैं। उद्यान निरीक्षक गिरीश मिश्र का कहना है आयोग की बंदिश से किसानों को थोड़ा नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन सहालग शुरू होने स्थिति में सुधार आया है।

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