न ग‌र्ल्स कॉमन रूम, न ही है कोई वॉश रूम

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : वो शहर का प्रमुख महाविद्यालय है। यूजीसी से ग्रांट के रूप में पिछले व

By Edited By: Publish:Mon, 31 Aug 2015 07:08 PM (IST) Updated:Mon, 31 Aug 2015 07:08 PM (IST)
न ग‌र्ल्स कॉमन रूम, न ही है कोई वॉश रूम

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद : वो शहर का प्रमुख महाविद्यालय है। यूजीसी से ग्रांट के रूप में पिछले वर्षों में बड़ी धनराशि कॉलेज को मिली, लेकिन सह-शिक्षा होने के बाद भी कॉलेज प्रशासन आज तक छात्राओं के लिए एक कॉमन रूम का इंतजाम नहीं करा सका है। कॉलेज में छात्राएं हर रोज परेशान होती हैं। बैठने के नाम पर उन्हें कॉलेज के पार्क एवं सीढि़यों पर वक्त गुजारना पड़ रहा है। एक तरफ शहर के ग‌र्ल्स कॉलेजों में भी छात्राओं के लिए अलग से कॉमन रूम की सुविधा है, दूसरी तरफ सह शिक्षा वाले कॉलेज में इस तरह की अनदेखी पर किसी की नजर नहीं।

फीरोजाबाद के प्रमुख एसआरके महाविद्यालय में बीए से लेकर एमए तक बड़ी संख्या में छात्राएं शिक्षा ग्रहण करती हैं। कॉलेज में क्लास का वक्त अलग होता है तो इन दिनों प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। फॉर्म भरने एवं अन्य कार्य के लिए छात्राओं को कॉलेज में आना पड़ता है, ऐसे में कॉमन रूम न होने पर उन्हें कॉलेज में सीढि़यों पर ही बैठकर फॉर्म भरना पड़ता है। कॉलेज में पहले प्राचार्य कक्ष के निकट ही नाम के लिए एक ग‌र्ल्स कॉमन रूम हुआ भी करता था, उस रूम को भी कॉलेज प्रशासन ने नया कक्ष बनवाने के लिए तुड़वा दिया है। कॉलेज की छात्राओं में इसको लेकर रोष है। मैदान एवं पार्क में बैठने पर छात्राओं पर बंदरों के हमले का भी खतरा रहता है।

कुर्सियों पर सधा लैंटर, कभी भी हो सकता है हादसा

एसआरके कॉलेज में यूजीसी की ग्रांट से लाखों का अधूरा निर्माण खड़ा है, लेकिन कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग के पीछे वॉश रूम के लिए जाने वाले मार्ग पर हवा में लटका लैंटर ठीक कराने की कॉलेज प्रशासन को फुर्सत नहीं है, क्योंकि इसके लिए कोई ग्रांट नहीं है। यहां पर लैंटर इस तरह हवा में लटका हुआ है कि उसे बैंच एवं कुर्सियां रखकर साधा गया है। किसी भी दिन यह नीचे गिर सकता है। कॉलेज की अधिकांश छात्राएं ज्यादा जरूरी होने पर इसी वॉश रूम का प्रयोग करती है, लेकिन यहां पर आने में उन्हें हर वक्त खतरा सताता रहता है।

कहां जाता है मेंटीनेंस एवं अन्य शुल्क

कॉलेज प्रशासन द्वारा छात्रों से मेंटीनेंस एवं अन्य मद में छात्रों से शुल्क लिया जाता है। अगर कॉलेज प्रशासन चाहे तो इस शुल्क से कम से कम मनोविज्ञान विभाग के वॉश रूम के लिए जाने वाले रास्ते सहित कॉलेज में छात्राओं के लिए वॉश रूम को ठीक करा सकता है। स्थिति यह है शिक्षकों को भी कॉलेज कैंपस में बने हुए ही वॉश रूम का प्रयोग करना पड़ता है।

यूजीसी ने नहीं भेजा धन, प्रबंध समिति से करें बात : प्राचार्य

महाविद्यालय प्राचार्य डा.विपिन कुमार से संपर्क करने पर उन्होंने कहा यूजीसी के पास धन नहीं। ग्रांट की दूसरी किश्त नहीं मिल पाने से कॉमन रूम नहीं बन पाया है। कॉलेज द्वारा अपने स्तर से व्यवस्था करने के सवाल पर प्राचार्य डा.कुमार ने कहा इस संबंध में प्रबंध समिति से वार्ता करें। हम अभी विवि की बैठक में हैं।

चुप्पी साधे बैठे हैं छात्र हित की बात करने वाले

जनपद में छात्र हित की बात करने वाले कई छात्र संगठन सक्रिय हैं, लेकिन एसआरके महाविद्यालय में सुविधाओं के नाम पर होने वाले मजाक पर चुप्पी साधे बैठे हैं। छात्र आंदोलन के नाम पर ज्ञापन सौंपकर राजनीति करने वालों की आम छात्रों से जुड़ी समस्याओं पर चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।

छात्राओं की बात

'कॉलेज में कॉमन रूम नहीं है। वॉशरूम की सबसे ज्यादा समस्या है। ग‌र्ल्स के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। कॉलेज प्रशासन को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।'

-करिश्मा ¨सह

एमए की छात्रा

फोटो नंबर 10

'ग‌र्ल्स के लिए एक कॉमन रूम तो होना ही चाहिए। छात्राओं को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।'

-अंशुल वाष्र्णेय

एमए की छात्रा

फोटो नंबर 11

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