पाला निगल गया आलू किसानों का मुनाफा
संवाद सहयोगी अमृतपुर सर्दियों में कई दिनों तक पाला पड़ने से आलू का उत्पादन कम हो गया है
संवाद सहयोगी, अमृतपुर : सर्दियों में कई दिनों तक पाला पड़ने से आलू का उत्पादन कम हो गया है। मंडी में आलू का भाव कम होने से किसानों को लागत भी नहीं मिल पा रही है। इससे चितित किसानों का कहना है कि उनका मुनाफा पाला निगल गया है।
अमृतपुर क्षेत्र के लीलापुर, हरसिंहपुर, परतापुर, अमृतपुर, मुजहा, उधरनपुर, करनपुरदत्त, कुड़रा, कुबेरपुर, ताजपुर, भुवनपुर व नगला हूशा के अधिकांश किसान खेतों में आलू की फसल करते हैं। किसान आलू की फसल में सबसे अधिक लागत भी लगाते हैं। सर्दियों में कई दिनों तक पाला पड़ने से आलू का उत्पादन कम हो गया और आलू का भाव भी कम होने से किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। सरकार किसानों की आय दो गुनी करने के दावे कर रही हो, लेकिन आलू की फसल की लागत न मिलने से किसान चितित है। भाव कम होने से किसान खेतों में आलू के ढेर लगा रहे हैं। क्योंकि बाजार में आलू 500 से 600 रुपये क्विटल बिक रहा है। ऐसे में एक एकड़ आलू की फसल में 75 क्विटल ही रह गया है। जबकि लागत 60 हजार के करीब है। नगला हूशा के शेरबहादुर शाक्य बताते हैं कि कई दिनों तक पाला पड़ने से आलू का उत्पादन घटकर 15 क्विटल प्रति बीघा ही रह गया है। पिछैती आलू तो 10 से 12 क्विटल ही निकल रहा है। इससे पहले 20 से 25 क्विटल प्रति बीघा आलू का उत्पादन होता रहा है। अमृतपुर के रघुवीर सिंह बताते हैं कि सर्दी भले ही कम पड़ी हो, लेकिन पाला कई दिनों तक पड़ने से आलू का उत्पादन बहुत कम हो गया है। पिछैती आलू में उत्पादन तो आधा ही रह गया है, जिससे किसानों को आलू की लागत भी नहीं मिल पा रही है। मोकुलपुर के राजवीर बताते हैं कि पिछैती आलू में पाला का असर साफ दिखाई पड़ रहा है। पिछैती आलू में झुलसा लगने से किसान तबाह हो गया। किसानों को लागत के पैसे नहीं मिल पा रहे हैं। आलू में लागत भी न मिलने से कर्ज चुकाने की किसानों को चिता सताने लगी है। एक एकड़ आलू की लागत
जुताई : 8400 रुपये
डीएपी : 7000 रुपये
घूरा : 10000 रुपये
बुआई : 3600 रुपये
बीज : 15000 रुपये
पानी : 3000 रुपये
दवा : 3000 रुपये
खुदाई ट्रांसपोर्ट : 11 हजार रुपये