गमे हुसैन में सिसका आसमां, अब्र भी हो गए अश्कबार

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : दस मोहर्रम को शहर की सड़कों से मातमी जुलूस निकला। जंजीरी मात

By JagranEdited By: Publish:Fri, 21 Sep 2018 05:48 PM (IST) Updated:Fri, 21 Sep 2018 05:48 PM (IST)
गमे हुसैन में सिसका आसमां, अब्र भी हो गए अश्कबार
गमे हुसैन में सिसका आसमां, अब्र भी हो गए अश्कबार

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : दस मोहर्रम को शहर की सड़कों से मातमी जुलूस निकला। जंजीरी मातम में खून से तर-ब-तर शैदाइयों का सैलाब जिधर से गुजरा उधर रास्ते सुर्ख करता चला। 'नारा-ए-हैदरी' और 'लब्बैक-या हुसैन' की सदाओं के बीच आसमां भी मानो रो पड़ा। हल्की बूंदा-बांदी के बीच सोगवारों का काफिला कर्बला पहुंचा। यहां अकीदतमंदों ने नम आंखों से नौ दिनों तक सजा कर रखे गए ताजिए सुपुर्द-ए-खाक किए।

हुसैन की शहादत का गम मनाने शुक्रवार को नंगे पैर सोगवारों का काफिला ख्वातीन और बच्चों को साथ लेकर निकला। ठंडी सड़क स्थित दर-ए-जैनबिया से रवायती अंदाज में अलम जुलूस शुरू हुआ। जुलूस की आखिरी सफ में ख्वातीन अली अकबर का झूला सिर पर उठाए चल रहीं थीं। सुबह से ही आसमान में बादल छाए हुए थे। जुलूस घुमना से मुख्य मार्ग पर आया। हलकी बूंदा-बांदी के बीच नोहों की धुन पर मातम करते हुसैन के शैदाइयों का चौक तक पहुंचते-पहुंचते जोश उरूज पर आ चुका था। नोहा ख्वानी की धुनें तेज थी और इसी के साथ सीना जनी की रफ्तार बढ़ती गई। देखते-देखते ही देखते लोगों के बदन से खून बहने लगा। बारिश से घुल कर अकीदतमंदों का लहू सड़क को सुर्ख कर रहा था।

नारा-ए-हैदरी और लब्बैक-या हुसैन की सदाओं के बीच जुलसू को आगे बढ़ने का इशारा मिला। पक्के पुल पर पहुंच कर जंजीरों का मातम किया गया। अकीदत के जुनून के आगे सड़क के दोनों ओर और छतों व छज्जों पर लोग सांसे रोके खड़े थे। कोई आवाज आ रही थी तो बस जंजीरों की धमक और छुरियों की छुन-छुन की। एक बार फिर नारे बुलंद हुए। जुलूस आगे बढ़ा। बजरिया तिराहे पर कमा का मातम हुआ और फिर टाउनहॉल तिराहे पर जोरदार अलविदाई जंजीरी मातम हुआ। यहां से काफिला आगे बढ़कर ढलान पर उतरा और कर्बला की तरफ चला गया।

कर्बला पहुंच कर मजलसि का आयोजन किया गया। भीकमपुरा, नखास, गढ़ी व तराई के अलावा शहर के विभिन्न मोहल्लों और अजाखानों के ताजिए अलग-अलग जुलूस की शक्ल में कर्बला पहुंचे। हजारों की भीड़ के बीच ताजियों को नम आंखों से दफन किया गया। अलम व ताजिया जुलूसों के लिए सीरत कमेटी और नवाब बंगश वेलफेयर सोसाइटी की ओर से सबील लगाए गए।

फतेहगढ़ में ताजिए व अलम मुख्य चौराहे से पुलिस लाइन के निकट स्थित कर्बला के लिए रवाना हुए। दरगाह सत्तारिया के सज्जादानशीन मिर्जा हसन अशरफ उर्फ प्यारे मियां, मोहर्रम कमेटी के शमशाद हुसैन, नसीम अहमद, मोहम्मद आकिल, अलीम भाई, यूनुस अंसारी, रिजवान अहमद ताज, अल्लाहदीन आदि मौजूद रहे।

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