नाट्य कलाकारों ने दिया बेटी बचाने का संदेश

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मुझे तो बेटा चाहिए। पति की इस सोच पर पत्नी ने समझाया बेटियों क

By JagranEdited By: Publish:Sun, 19 Aug 2018 10:19 PM (IST) Updated:Sun, 19 Aug 2018 10:19 PM (IST)
नाट्य कलाकारों ने दिया बेटी बचाने का संदेश
नाट्य कलाकारों ने दिया बेटी बचाने का संदेश

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद : मुझे तो बेटा चाहिए। पति की इस सोच पर पत्नी ने समझाया बेटियों को क्यों समझ रहे बोझ। पिता के यह भाव मानो गर्भ में पल रही बेटी तक पहुंच गए। बेटी बोली, मां मुझे जीने दो। मैं आपका और पापा का सहारा बनूंगी, मैं भी खूबसूरत दुनिया देखना चाहती। ऐसे में मां दुर्गा अपने सभी रूपों में प्रकटीं और बताई नारी की महत्ता। पश्चाताप से शर्मिंदा पति हाथ जोड़ बोल उठा, बेटा भाग्य तो बेटियां हैं भाग्य विधाता। इसी के साथ बेटी जन्मी और छा गईं खुशियां।

बद्री विशाल महाविद्यालय सभागार में लोक अधिकार मंच की ओर से आयोजित 'नारी तुम्हे प्रणाम' संगोष्ठी में प्रस्तुत इस नाटक में कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांध लिया। बेटी बचाने के इस संदेश में 'जब है नारी में शक्ति सारी तो फिर नारी को क्यों कहें बेचारी' का भाव भी साकार हुआ। आयोजक लोक अधिकार मंच के अध्यक्ष डा.अर¨वद व प्रधानाचार्य अरुंधती ¨सह ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर आयोजित काव्य गोष्ठी में कवयत्री गीता भारद्वाज की 'है ऐसा कोई शूरवीर जिसको मां ने न जाया हो, नारी के गर्भ में रहा नहीं और आसमान से आया हो' रचना ने लोगों के अंतर्मन को छू लिया। डा.निराला राही ने 'शून्य नारी बिन धरती है', उपकार मणि ने 'वंचित रहकर भी हर घर की जरूरत हो गई', रामशंकर अवस्थी ने 'तेरी महिमा को तुलसी, सूर और कबिरा ने समझा' रचना से वाहवाही पाई। गरिमा पांडेय ने 'कोई पार न कर पाया मैं वह सीमा रेखा हूं' पंक्तियों से नारी सशक्तीकरण की झांकी प्रस्तुत की। कविता शर्मा, राममुरारी शुक्ला, डा.राजकुमार ¨सह, डा.माधुरी दुबे, जमुर्रद बेगम, स्मृति अग्निहोत्री, रमेश चंद्र त्रिपाठी, सुनीता सचान ने भी विचार रखे। नाटक का निर्देशन पूजा मिश्रा व सुरेंद्र पांडेय ने किया।

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