बुद्ध, उपगुप्त और तुलसी की राह पर मोरारी बापू

रामनगरी में सेक्स वर्कर्स के लिए 22 दिसंबर से नौ दिवसीय रामकथा करने आ रहे शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू बुद्ध एवं तुलसी की राह पर हैं। गणिकाओं के रूप में समाज के वंचित तबके के प्रति संवेदना जताने वाले बापू पहले आध्यात्मिक आचार्य नहीं हैं। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में ऐसे अनेक आचार्य रहे हैं,

By JagranEdited By: Publish:Thu, 20 Dec 2018 12:27 AM (IST) Updated:Thu, 20 Dec 2018 12:27 AM (IST)
बुद्ध, उपगुप्त और तुलसी की राह पर मोरारी बापू
बुद्ध, उपगुप्त और तुलसी की राह पर मोरारी बापू

अयोध्या : रामनगरी में सेक्स वर्कर्स के लिए 22 दिसंबर से नौ दिवसीय रामकथा करने आ रहे शीर्षस्थ रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू बुद्ध एवं तुलसी की राह पर हैं। गणिकाओं के रूप में समाज के वंचित तबके के प्रति संवेदना जताने वाले बापू पहले आध्यात्मिक आचार्य नहीं हैं। भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में ऐसे अनेक आचार्य रहे हैं, जिनकी संवेदना की व्यापक परिधि में गणिकाएं शामिल रही हैं। गौतम बुद्ध और वैशाली की नगरवधू आम्रपाली की कथा ढाई हजार वर्ष बाद भी प्रवाहमान है। बौद्ध कथाओं के अनुसार बुद्ध के उपदेश सुन आम्रपाली ने नगरवधू के पद का परित्याग कर भिक्षुणी का जीवन अंगीकार किया। एक अन्य कथा के अनुसार बुद्ध के अत्यंत रूपवान और प्रतिभाशाली शिष्य उपगुप्त पर आसक्त वासवदत्ता एक रात चुपके से उनके बिहार में पहुंच गई। घोर अंधकार में अकेली वासवदत्ता को सामने पाकर उपगुप्त हतप्रभ रह गए पर उन्होंने पूर्ण संयम और शिष्टता का परिचय दिया। उपगुप्त का सानिध्य पाने को बेताब वासवदत्ता ने उन्हें अपने दिव्य महल में आने का आमंत्रण दिया और उपगुप्त ने उन्हें उचित समय पर आने का आश्वासन दे वापस लौटा दिया। काफी समय बाद उपगुप्त निर्जन मार्ग पर आगे बढ़े जा रहे थे, इसी बीच उन्होंने मार्ग के किनारे प्रौढ़ा रमणी को कराहते हुए सुना, वे सहायता के लिए आगे बढ़े तो रमणी ने उनका परिचय पूछा। उपगुप्त ने परिचय देते हुए बताया कि यही मेरे आने का उचित समय था। वासवदत्ता तो जैसे देहज्ञान से ऊपर उठकर आत्मज्ञान को उपलब्ध हुई। गोस्वामी तुलसीदास के भी जीवन में वासंती नाम की वेश्या का जिक्र मिलता है और तुलसीदास के मुख से रामकथा सुनने के बाद ही वासंती चिरनिद्रा में लीन हुई।

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