पूर्व सांसद रामविलास वेदांती बोले-मैंने तुड़वाया था विवादित ढांचा, आडवाणी दोषी नहीं

फैजाबाद में एक प्रेस वार्ता में डॉ. वेदांती ने माना कि विवादित ढांचा उन्होंने तुड़वाया था, इस प्रकरण में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जरा भी दोषी नहीं हैं।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Fri, 21 Apr 2017 11:44 AM (IST) Updated:Sat, 22 Apr 2017 09:13 AM (IST)
पूर्व सांसद रामविलास वेदांती बोले-मैंने तुड़वाया था विवादित ढांचा, आडवाणी दोषी नहीं
पूर्व सांसद रामविलास वेदांती बोले-मैंने तुड़वाया था विवादित ढांचा, आडवाणी दोषी नहीं

फैजाबाद (जेएनएन)। भारतीय जनता पार्टी से सांसद रहे डॉ. रामविलास दास वेदांती ने आज अयोध्या के विवादित ढांचा मामले को और हवा दे दी है। फैजाबाद में एक प्रेस वार्ता में डॉ. वेदांती ने माना कि विवादित ढांचा उन्होंने तुड़वाया था, इस प्रकरण में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी जरा भी दोषी नहीं हैं। 

अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य और भारतीय जनता पार्टी से दो बार सांसद रहे डॉ. रामविलास दास वेदांती ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बड़ा बयान दिया है। अयोध्या के संतों का एक प्रतिनिधिमंडल आज जहां लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने आया है, वहीं फैजाबाद में भाजपा के पूर्व सांसद ने बड़ा बम फोड़ा है। अयोध्या के विवादित ढांचा गिराने की साजिश में सीबीआई जांच में पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती को भी शामिल किया गया है। 

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रामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ, सदस्य पूर्व सांसद एवं मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता डाॅ. रामविलासदास वेदांती ने दावा किया कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा उन्होंने ही तोड़ा और तोड़वाया था। वे नयाघाट स्थित अपने आवास हिन्दूधाम में पत्रकारों से मुखातिब थे। डाक्टर वेदांती ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरलीमनोहर जोशी समेत 13 नेताओं के खिलाफ ध्वंस की साजिश रचने का मामला चलाये जाने की सीबीआई को इजाजत दी गई है।

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उन्होंने 6 दिसंबर 1992 के घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहा कि जब कारसेवक ढांचा तोड़ रहे थे उस समय विहिप नेता अशोक सिंहल, महंत अवैद्यनाथ एवं मैं नारा लगवा रहा था, ‘ढांचा जल्दी तोड़ो, जब तक यह नहीं टूटेगा मंदिर निर्माण नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि अयोध्या में मौजूद कार सेवकों ने मेरे और स्वर्गीय अशोक सिंहल के कहने तथा उकसाने पर विवादित ढांचा को गिराया था। मेरे कहने पर ही कारसेवकों ने गिराया बाबरी ढांचा। मैंने ही कहा था एक धक्का और दो बाबरी को तोड़ दो। महंत अवेद्यनाथ अशोक सिंहल भी तोड़वाने में शामिल थे ।

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लालकृष्ण आडवाणी, डॉ.मुरली मनोहर जोशी व विजयाराजे सिंधिया कारसेवकों को समझाने का प्रयास कर रहे थे । डाॅ. वेदांती के अनुसार विवादित ढांचा से कुछ ही दूर स्थित मंच पर मौजूद आडवाणी, जोशी आदि नेता कारसेवकों से अनुरोध कर रहे थे कि आप की कारसेवा हो गई है और आप ढांचे से उतर आइये। इस प्रकरण में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी बिल्कुल भी दोषी नहीं हैं, वह तो बेकसूर है। उन्होंने कहा कि हां, मैंने ढांचा तोड़ा और तोड़वाया है। इसके लिए यदि कोर्ट फांसी की सजा मुझे दे तो मैं फांसी पर लटकने को तैयार हूँ।

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उन्होंने कहा कि मैं रामलला से यह प्रार्थना जरूर करूंगा कि भारत सरकार और प्रदेश सरकार को ऐसी दिशा मिले कि रामजन्मभूमि पर जल्द से जल्द मंदिर का निर्माण हो। उन्होंने सरकार से विवादित स्थल के इर्द-गिर्द अधिग्रहीत 67.77 एकड़ जमीन रामजन्मभूमि न्यास को सौंपने की भी मांग की, ताकि इस भूमि पर राममंदिर निर्माण शुरू किया जा सके। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों को चुनौती दी कि ध्वंस के समय के साक्ष्यों का अयोध्या आकर पुनर्वलोकन करें। डाॅ.वेदांती ने सीबीआई की नीयत पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि सीबीआई की झूठी गवाही पर जजों ने फिर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है। 

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वेदांती का आया यह बयान बीजेपी और विहिप के वरिष्ठ नेताओं को बचाने की एक कोशिश की तौर पर देखा जा रहा है। बुधवार को 1992 बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला देते हुए कहा कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती पर आपराधिक साजिश का मुकदमा चलाया जाएगा। इस मामले में सिर्फ कल्याण सिंह को इम्युनिटी दी गई है क्योंकि वो गवर्नर हैं, हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि वो इस्तीफ़ा देने पर विचार कर सकते हैं।

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कोई प्रमाण नहीं कि वह मस्जिद थी

डाॅ. रामविलासदास वेदांती ने 6 दिसंबर 1992 को जो इमारत ध्वस्त की गई, उसे मस्जिद मानने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि वह मंदिर था और जर्जर होने की वजह से रामभक्तों ने उसे ढहा दिया ताकि भव्य राममंदिर का निर्माण हो सके। डाॅ. वेदांती ने कहा कि ऐसा कोई प्रमाण नहीं कि जिससे यह साबित हो सके कि वह मस्जिद थी। उसमें मीनार नहीं थी, उसमें हिंदू देवी देवताओं के प्रतीक चिह्न थे । साथ ही परिक्रमा मार्ग और अमृत कलश भी था, जो किसी मस्जिद में होनी असंभव है।

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