रामलीला मैदान में भक्ति गीतों पर झूम उठे भक्त

सुग्रीव की आज्ञा से पूरी वानर सेना चारों दिशाओं में माता सीता की खोज में जाती है जहां पर समुद्र के किनारे लंका जाते समय हनुमान को उनके बल का जामवंत द्वारा ज्ञान कराया जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Dec 2020 01:40 AM (IST) Updated:Fri, 25 Dec 2020 01:40 AM (IST)
रामलीला मैदान में भक्ति गीतों पर झूम उठे भक्त
रामलीला मैदान में भक्ति गीतों पर झूम उठे भक्त

देवरिया : शहर के रामलीला मैदान में चल रहे श्रीराम कथा के अंतिम दिन गुरुवार को मानस मर्मज्ञ राजन महाराज ने श्रीराम के राजा बनने के प्रसंग का मार्मिक तरीक से वर्णन किया। इस दौरान भक्त झूम उठे। कथा को सुनने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचे थे।

कहा कि जब सुग्रीव ने समझा कि बाली ने उसके वध के लिए किसी को भेजा है, तब वह मंत्रियों से विचार के बाद हनुमान को यह पता लगाने के लिए भेजते हैं कि वह दोनों कौन हैं। हनुमान भगवान श्रीराम तथा सुग्रीव की मित्रता करवाता है, भगवान राम सुग्रीव को सीता हरण के बारे में बताते हैं तथा महाराज सुग्रीव भगवान श्रीराम को आश्वासन देते हैं कि वह माता सीता को खोज निकालेंगे। सुग्रीव के कहने पर भगवान राम बाली का वध करते हैं तथा सुग्रीव को राजा बनाते हैं।

सुग्रीव की आज्ञा से पूरी वानर सेना चारों दिशाओं में माता सीता की खोज में जाती है, जहां पर समुद्र के किनारे लंका जाते समय हनुमान को उनके बल का जामवंत द्वारा ज्ञान कराया जाता है। भगवान श्रीराम ने कुंभकरण एवं रावण को मारकर लंका पर विजय प्राप्त की। लंका विजय के बाद भगवान राम के अयोध्या पहुंचने पर दीवाली मनाई गई तथा धूमधाम से वशिष्ठ मुनि द्वारा राज्याभिषेक किया गया। कथा के दौरान अरुण बरनवाल, डा. सौरभ श्रीवास्तव, अमित सिंह बबलू, संजय मिश्रा, निखिल सोनी आदि मौजूद रहे। पूतना वध की कथा का कराया रसपान

देवरिया: शहर के महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज परिसर में चल रहे भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास पंडित राधिकेश शर्मा ने पूतना वध की कथा का रसपान कराया। पूतना यह निश्चय करके आई थी कि, मैं ब्रज के सारे शिशुओं को मार डालूंगी , किन्तु भगवान की लीलाशक्ति की प्रेरणा से वह सीधे नन्दभवन ही आई । कन्या रत्नमाला ने वामन भगवान को देखकर पुत्र स्नेहवश उन्हें दूध पिलाने की कामना की थी। द्वापर में पूतना हुई और श्रीकृष्ण के स्पर्श से उसकी लालसा पूर्ण हुई। कथामर्मज्ञ शर्मा ने शकटासुर, अघासुर, बकासुर आदि असुरों के वध के प्रसंगों का भी रहस्य वर्णन करते हुए श्रीकृष्ण की बाल-लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।

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