पाक सेना को खदेड़कर दुर्गम चोटी पर फहराया तिरंगा

कारगिल का नाम सुनते ही देश के हर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। विषम हालातों में भारतीय जांबाजों ने युद्ध लड़ा था और दो माह 23 दिन में पाकिस्तानी फौज को खदेड़ दिया था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Jul 2019 11:41 PM (IST) Updated:Thu, 25 Jul 2019 06:20 AM (IST)
पाक सेना को खदेड़कर दुर्गम चोटी पर फहराया तिरंगा
पाक सेना को खदेड़कर दुर्गम चोटी पर फहराया तिरंगा

बुलंदशहर, जेएनएन: कारगिल का नाम सुनते ही देश के हर व्यक्ति का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। विषम हालातों में भारतीय जांबाजों ने युद्ध लड़ा था और दो माह 23 दिन में पाकिस्तानी फौज को खदेड़ दिया था। देश के 527 जांबाजों ने शहादत देकर 26 जुलाई 1999 को कारगिल पर तिरंगा फहराया था। मातृ भूमि की रक्षा में गुलावठी क्षेत्र के दो जांबाज भी शामिल रहे।

गांव औरंगाबाद अहीर निवासी परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र यादव बताते हैं कि 1999 में उनकी शादी थी। शादी के अगले दिन ही पता चला कि पड़ोसी देश पाकिस्तान ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके हमे ललकारा है। जश्न के सारे प्रोग्राम पल भर में एक दिवा स्वप्न की तरह टूट गए। अगले ही हफ्ते फौज का बुलावा आ गया। इसके बाद अपने माता-पिता समेत परिजनों से आशीर्वाद लेकर जम्मू रवाना हो गया। योगेंद्र बताते है कि जम्मू कश्मीर स्थित कारगिल क्षेत्र में चल रहा युद्ध भयानक रूप ले चुका था। उनकी बटालियन को टाइगर हिल्स का टास्क सौंपा गया। 16 हजार फीट की ऊंचाई पर पाकिस्तानी सैनिकों से आमने-सामने की भिड़ंत हुई। गोली लगने से शरीर खून से लथपथ हो चुका था। हमला इतना जबरदस्त था कि बारूद से पहाड़ों पर जमी बर्फ भी आग के शोलों में बदल गई। 18 जवान शहीद हो चुके थे और गोला बारूद भी समाप्त हो चुका था। धीरे-धीरे पत्थरों की आड़ लेते हुए वह दुश्मनों के करीब जा पहुंचे और दुश्मनों को ढेर कर दिया। बाद में भारत माता की जय बोलते हुए चोटी पर तिरंगा झंडा फहरा दिया। कारगिल युद्ध के हीरो रहे योगेंद्र यादव को प्रदेश की अखिलेश सरकार यश भारती सम्मान से नवाज चुकी है। योगेंद्र यादव ने अपने पराक्रम से जनपद बुलंदशहर का नाम पूरे देश में रोशन किया है।

ऋषिपाल की शहादत पर भी नाज

कारगिल युद्ध में गांव कुरली निवासी ऋषिपाल सिंह डागर की शहादत पर भी परिजनों व ग्रामीणों को नाज है। वह 17वीं जाट रेजीमेंट में नायक थे। आज से 20 वर्ष पूर्व दो माह तक लंबे चले युद्ध में भारत के वीर सैनिकों ने 16,500 फीट ऊंची बेहद दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों में विपरीत परिस्थितियों और जबरदस्त गोली बारी में अपने अदम्य साहस और पराक्रम से दुश्मनों को मौत के घाट उतार कारगिल को आजाद करा भारत का तिरंगा फहराया। कारगिल युद्ध में ऋषिपाल डागर ने आठ घुसपैठियों को मार गिराया था। ऋषिपाल सीने पर गोलियां खाते ही शहीद हो गए थे। ग्रामीणों समेत क्षेत्र के लोग शहीद ऋषिपाल डागर की वीरता को सलाम करते है।

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