बिजनौर में स्टेनो ने दी IAS एसडीएम के खिलाफ तहरीर, जातिसूचक शब्दों के प्रयोग का आरोप
बिजनौर में चांदपुर एसडीएम के पद पर तैनात आइएएस अधिकारी आलोक यादव के खिलाफ उनके ही स्टेनो ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज करने का आरोप लगाया है।
बिजनौर (जेएनएन)। केंद्र सरकार के एससी-एसटी एक्ट को मान्यता देने के बाद बिजनौर में इसके प्रयोग का पहला मामला सामने आया है। यहां पर एसडीएम के पद पर तैनात एक आइएएस अधिकारी के खिलाफ उनके स्टेनो ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित करने का आरोप लगाया है। स्टेनो ने थाना में तहरीर देकर एसडीएम के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है।
बिजनौर में चांदपुर एसडीएम के पद पर तैनात आइएएस अधिकारी आलोक यादव के खिलाफ उनके ही स्टेनो ने जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज करने का आरोप लगाया है। स्टेनो ने एसडीएम के खिलाफ थाने में तहरीर देकर एससी-एसटी एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करने की मांग की है। पुलिस ने पहले विभाग में शिकायत करने की बात कहते हुए उन्हें टरका दिया।
मोहल्ला कस्साबान बिजनौर निवासी किशनचंद एसडीएम चांदपुर कार्यालय में आशुलिपिक के पद पर तैनात हैं। उन्होंने थाने में दी तहरीर में कहा है कि कल शाम करीब सवा चार बजे एक व्यक्ति जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र के संबंध में एसडीएम आलोक यादव से मिलने आए थे। वह उनके कार्यालय कक्ष में गए होंगे। स्टेनो का कहना है कि बाद में एसडीएम ने अर्दली के माध्यम से उन्हें अपने कक्ष में बुलाया तथा उनके साथ जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए गाली-गलौज की।
इसके साथ ही कहा कि उनके कक्ष में पब्लिक के किसी भी व्यक्ति को न भेजा जाए। यदि किसी को भेजा तो तेरी खैर नहीं है। किशनचंद ने चांदपुर थाने में तहरीर दी तो इंस्पेक्टर दुर्गेश मिश्र ने पहले विभागीय स्तर शिकायत करने की बात कहते हुए रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इंस्पेक्टर का कहना है कि किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ इस मामले में रिपोर्ट दर्ज होने से पूर्व विभागीय जांच होना जरूरी है। पुलिस अपने स्तर से भी जांच कर रही है। उधर एसडीएम आलोक यादव का कहना है कि उन्हें इस तरह का कोई मामला नहीं हुआ। उन्हें तो इसकी जानकारी भी नहीं है। सात दिन पहले ही तो उन्होंने चांदपुर एसडीएम का चार्ज लिया है। अभी तक तो वह पूरे स्टाफ को सही से जानते भी नहीं हैं।